ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको पीएलसी (बीएटी) ने आईटीसी में 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी और इसी के साथ सिगरेट से लेकर साबुन बनाने वाले इस समूह में उसका वीटो का अधिकार समाप्त हो गया। लंदन स्टॉक एक्सचेंज (एलएसई) को दी गई सूचना में डनहिल और लकी स्ट्राइक की विनिर्माता ने कहा कि उसने त्वरित बुकबिल्ड प्रक्रिया या ब्लॉक ट्रेड के जरिये संस्थागत निवेशकों को आईटीसी लिमिटेड के 31.3 करोड़ साधारण शेयरों की बिक्री पूरी कर ली है। ये शेयर आईटीसी के 2.5 प्रतिशत के बराबर हैं और इनसे मिलने वाली शुद्ध रकम 12,100 करोड़ रुपये है।
इस बिक्री के साथ बीएटी की हिस्सेदारी लगभग 22.9 प्रतिशत रहने के आसार हैं। मंगलवार को बिक्री का ऐलान करते हुए कंपनी ने कहा था कि वह आईटीसी में 23.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बरकरार रखेगी और महत्त्वपूर्ण शेयरधारक बनी रहेगी।
इस कदम से बीएटी की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की सीमा से नीचे आ गई है और यह कंपनी के निदेशक मंडल में बदलाव का भी संकेत है। 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी से शेयरधारकों को प्रस्तावों को प्रभावित करने या विरोध करने की अनुमति मिलती है। खास तौर पर उन विशेष प्रस्तावों के मामले में, जिनमें डाले गए 75 प्रतिशत वोट पक्ष में होने जरूरी होते हैं। शेयर बाजार को दी गई सूचना के बारे में बीएटी को भेजे गए ईमेल के जवाब में कहा गया कि इस समय कोई और टिप्पणी नहीं दी जाएगी।
साल 2023 में बीएटी के मुख्य कार्यकारी तादेऊ मारोको ने ‘भारत में कम से कम 25 प्रतिशत शेयरधारिता’ के महत्व को बताया था। डॉयचे बैंक ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फ्रेंस को संबांधित करते हुए उन्होंने कहा था कि इस हिस्सेदारी की बदौलत बीएटी निदेशक मंडल में सीट रखने, प्रस्तावों को वीटो करने और कुछ अवसरों का आगे बढ़ाने में सक्षम होगी।
अलबत्ता मार्च 2024 में बीएटी ने अपना पुनर्खरीद कार्यक्रम शुरू करने के लिए 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी। इस बिक्री से उसकी हिस्सेदारी 25.45 प्रतिशत तक गिर गई। इस बिक्री से लेनदेन लागत और करों के बाद उसे1.6 अरब पाउंड की शुद्ध आय हुई। उसी साल बाद में कंपनी के कैपिटल मार्केट्स डे के अवसर पर मारोको ने आईटीसी के संबंध में कहा था, ‘हमें ध्यान रखना होगा कि भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर प्रतिबंध है जिसका मतलब यह है कि अगर आप बेचते हैं तो आप वापस नहीं खरीद सकते हैं।’
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कार्यकारी निदेशक और अनुसंधान समिति के प्रमुख अवनीश रॉय के अनुसार 25 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी के साथ बीएटी विशेष प्रस्तावों को रोकने में सक्षम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमें याद है कि एक बार बीएटी ने ईसॉप (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व) पर विशेष प्रस्ताव रोका था। इसलिए, यह कोई खास बात नहीं है।
रॉय 2018 की उस घटना का ज़िक्र कर रहे थे जब बीएटी ने ने आईटीसी और उसकी सहायक कंपनियों के कर्मचारियों को स्टॉक विकल्प देने के लिए विशेष प्रस्ताव को अवरुद्ध करने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया था। इस योजना को 75 प्रतिशत के अपेक्षित बहुमत के मुक़ाबले 63.49 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 98.77 प्रतिशत संस्थानों ने इसके पक्ष में मतदान किया था, 89.22 प्रतिशत गैर-संस्थागत सार्वजनिक शेयरधारकों, जिसमें बीएटी भी शामिल थी, ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
इसके बाद आईटीसी एक नई योजना – स्टॉक एप्रिसिएशन राइट्स स्कीम ले आई जिससे शेयर पूंजी में न्यूनतम वृद्धि हुई। तब से बीएटी की स्थिति में काफी बदलाव आया है और उसने दो साल में दूसरी बार हिस्सेदारी कम की है। विडंबना यह कि 1994 में बीएटी ने बहुमत हिस्सेदारी के साथ आईटीसी पर नियंत्रण की कोशिश की थी।