वित्तीय जानकारी के खुलासे में पारदर्शिता लाने और अकाउंटिंग प्रविष्टियों में हेरफेर रोकने के प्रयास के तहत कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से लेनदेन संबंधित सभी रिकॉर्ड और उनसे संबंधित संशोधन की जानकारी रखने वाले अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की अनिवार्यता सुनिश्चित करनी होगी।
इस संबंध में अधिसूचना दो साल पहले भी जारी की गई थी, जिस पर अब अमल किया जाएगा। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों के लिए बहीखातों में किए जाने वाले बदलावों की जानकारी का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य बना दिया है।
एक वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट ने स्पष्ट किया कि अब कंपनियां अपने बहीखाते में किसी एंट्री को हटाने में सक्षम नहीं होंगी, सिर्फ इनमें बदलाव कर सकेंगी। उन्होंने कहा, ‘खाते में बदलाव बरकरार रहेगा।
मौजूदा बैंकिंग संबंधित खामियों को देखते हुए और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब इस नई व्यवस्था को पसंद करेगी, जिसे पहले टाल दिया गया था।’
लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेज इंडिया में पार्टनर हरीश कुमार ने कहा, ‘ऐसे सॉफ्टवेयर पर अमल की तारीख पर विचार हो रहा है और कंपनियों को इसे ध्यान में रखते हुए अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयास में अपने अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर तैयार करने होंगे।’
कंपनियों को ऐसे परिवर्तन किए जाने की तारीख से बहीखातों में होने वाले बदलावों का रिकॉर्ड रखना होगा। कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स में पार्टनर अंकित सिंघी ने कहा, ‘ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि ऑडिट ट्रेल को कमजोर न किया जा सके।’
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में ऑडिट ट्रेल बरकरार रखने के लिए फीचर्स पहले से ही मौजूद रहे हैं, लेकिन कंपनियां सामान्य तौर पर इनका इस्तेमाल नहीं करती हैं।