Adani Group News: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अब अदाणी ग्रुप को लेकर बुधवार को एक रिपोर्ट आई जिसके बाद इसके शेयर 2 फीसदी तक टूट गए। बुधवार को नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने अदाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट निकाली जिसमें अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाया गया है कि फैमिली पार्टनर्स ने अपने ही ग्रुप के शेयरों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपये निवेश किए।
यह निवेश मॉरीशस में ऐसे इनवेस्टमेंट फंड के जरिए किया गया, जिसके बारे में कोई खास जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। हालांकि अदाणी ग्रुप के प्रवक्ता ने इन सभी आरोपों से इनकार किया।
इस बारे में अदाणी समूह के प्रवक्ता ने जवाब देते हुए इन आरोपों को आधारहीन और अप्रमाणित बताया है। अदाणी ग्रुप ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसकी सभी लिस्टेड कंपनियां नियमों का पालन कर रही हैं और इसमें पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा नियम भी शामिल है।
अदाणी समूह ने एक बयान में स्पष्ट रूप से इनका खंडन करते हुए कहा कि इसमें पुराने आरोपों को अलग तरीके से दोबारा पेश किया गया। समूह ने इसे ‘‘बेवकूफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्त पोषित हितों का एक प्रयास’’ घोषित किया।
बयान में कहा गया, ‘‘ ये दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अधिक चालान, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पक्ष लेनदेन तथा एफपीआई के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी। एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था और लेनदेन लागू कानून के तहत थे।’’
समूह ने कहा, ‘‘ मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप दिया गया जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। स्पष्ट रूप से, चूंकि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था, इसलिए धन के हस्तांतरण को लेकर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है।’’
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क्या कहती है OCCRP की रिपोर्ट
ओसीसीआरपी की रिपोर्ट के मुताबिक नसीर अली शबन अहली (Nasser Ali Shaban Ahli) और चेंग चुंग-लिंग (Chang Chung- Ling) के साथ अदाणी परिवार के कारोबारी संबंध हैं। ये दोनों अदाणी ग्रुप की कंपनियों में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर के रूप में भी काम कर चुके हैं। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ऑफशोर एग्रीमेंट के जरिए अदाणी ग्रुप के शेयरों की खरीदारी और बिक्री से काफी मुनाफा हासिल हुआ जिससे उनकी भागीदारी अस्पष्ट हो गई। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ‘पार्टनर्स’ के निवेश वाली मैनेजमेंट कंपनी ने विनोद अडानी की एक कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए पेमेंट भी किया।