चार्टर्ड विमान सेवा का कारोबार देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।इस बढ़ते बाजार में हिस्सेदारी करने के लिए तमाम नामचीन विमानन कंपनियां बेकरार हैं।
भारत में बढ़ रहे धनकुबेरों और तेज होती जिंदगी की रफ्तार के बीच चार्टर्ड उड़ानों के लिए संभावनाएं भी बहुत ज्यादा हैं।संभावनाएं ज्यादा हों, तो कंपनियां दौड़ लगाने में कोई गुरेज नहीं करती हैं। मसलन किंगफिशर एयरलाइन्स को ही ले लीजिए।विजय माल्या के यूबी समूह की यह कंपनी भी डेक्कन का अधिग्रहण करने के बाद अब चार्टर्ड उड़ान के क्षेत्र में कदम रखने को तैयार है।
किंगफिशर की योजना दो हेलीकॉप्टरों के साथ इस सेवा की शुरुआत करने की है। फिलहाल कंपनी यह सेवा मुंबई से ही शुरू करेगी। लेकिन प्रतिक्रिया देखने के बाद वह इसमें विस्तार भी करेगी। बाद में कंपनी इसके लिए जेट विमानों की सेवा भी लेने की योजना बना रही है।
विदेशी भी तैयार
इस क्षेत्र में आने के लिए सिर्फ भारतीय कंपनियां ही नहीं ,बल्कि विदेशी कंपनियां भी जोर मार रही हैं। इस सूची में बीजेट्स, जीएमआर, वीडियोकॉन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इनविजन और स्पाइसजेट जैसी कंपनियां भी शामिल है। जाहिर है कि किंगफिशर की चार्टर्ड सेवाएं शुरू होने पर आसमान में ट्रैफिक की समस्या भी बढ़ जाएगी।
विमानन विशेषज्ञों के अनुसार भारत में चार्टर्ड सेवाओं का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए सभी विमानन कंपनियां इस क्षेत्र में पहले आकर यहां मौजूद संभावनाओं का फायदा उठाना चाहती हैं। भारत के नागरिक उड्डयन बाजार मेंं इजाफे की रफ्तार अगले तीन साल में 25 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है।
हल्के जेट से रफ्तार
विशेषज्ञों के मुताबिक इस क्षेत्र में विकास का मुख्य कारण है हल्के जेट विमानों का उपयोग। दरअसल हल्के जेट विमानों की कीमत प्राइवेट जेट विमानों के मुकाबले आधी कीमत के ही होते हैं।
किंगफिशर मुस्तैद
अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों से एक कदम आगे रहने के लिए किंगफिशर ने पिछले साल ही अमेरिकी कंपनी एपिक एविएशन में 480 करोड़ रुपये निवेश कर 50 फीसदी शेयर खरीद लिए थे। एपिक एविएशन हल्के विमान बनाने वाली कंपनी है। माना जा रहा है कि इस कारण किंगफिशर को विमानों की आपूर्ति जल्द ही हो जाएगी।
व्यावसायिक जेट बनाने वाली प्रमुख कंपनी हॉकर बीच क्रॉफ्ट ने भारत को चार्टर्ड विमानों के सबसे तेजी से बढ़ने वाले तीन बाजारों में गिनती है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक भारत में अभी लगभग 120 विमान इस सेवा में कार्यरत हैं। एशिया-प्रशांत विमानन केंद्र के विशेषज्ञों के मुताबिक 2025 तक यह संख्या 500 तक पहुंचने की संभावना है।
विमानन कंपनियों के इस क्षेत्र में बढ़ते रूझान के कारण सवाल यह भी उठता है कि क्या इस बाजार में सभी के लिए अवसर हैं भी नहीं? विशेषज्ञों के मुताबिक एक विमान की कीमत लगभग 60 करोड़ से 200 करोड़ के बीच होती है। इस लागत को पूरा करने के लिए किसी भी विमान को हर महीने लगभग 60 से 80 घंटे उड़ान भरनी पड़ेगी।
चार्टर्ड विमान किराये पर देने वाली कंपनियों के क्लब वन एयर के निदेशक अशोक राय ने बताया कि अब छोटी कंपनियां भी निजी उड़ानों की सेवा लेने लगी हैं, तो इस क्षेत्र की मांग भी बढ़ेगी।
टैक्स से राहत
चार्टर्ड विमान कंपनियां ग्राहकों को टैक्स में भी राहत देती हैं जबकि आम उड़ानों में ऐसा नहीं होता है। इंटरग्लोब जनरल ऐविएशन के मुख्य कार्यकारी निजेल हारवुड ने बताया कि अगर आप किसी गैर अधिसूचित कंपनी के विमान का टिकट ले रहे हो तो अधिसूचित विमान के मुकाबले 30 फीसदी कम टैक्स देना पड़ेगा। दरअसल ऐसी कंपनियों को घरेलू मार्गों पर सेवा कर नहीं देना पड़ता।