अगली बार जब आप हवाई यात्रा के लिए जाएंगे, तो हो सकता है कि आपको पहले से अधिक आरामदेह सीट मिले, बिजनेस क्लास की आपकी सीट पहले की तुलना में और चौड़ी हो और एक सुपर लक्जरी कार आपको एयरपोर्ट के बाहर छोड़ कर आए।
अमेरिका में मंदी झेल चुकी अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियां अब भारत जैसे देशों के उपभोक्ताओं को रिझाने की कोशिश में जुटी हैं। दरअसल भारत में अब भी विमान सेवा क्षेत्र में विकास दर दहाई अंकों में है। और इसी को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा कंपनियां देश में प्रीमियम क्लास के यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने का मन बना रही हैं।
भारत से विदेशों के लिए उड़ान भरने वाले विमानों में से 60 से 65 फीसदी अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियों के ही होते हैं। ऐसे में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को लगता है कि यही सही समय है जब वे बेहतर सेवाएं उपलब्ध करा कर ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को खींच सकती हैं।
केपीएमजी में वरिष्ठ सलाहकार मार्क डी मार्टिन का कहना है कि एटीएफ (विमान ईंधन) की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बावजूद भारत का विमान सेवा क्षेत्र दहाई अंकों में विकास हासिल कर रहा है। ऐसा किसी दूसरे देश में देखने को नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में बेहतर संभावनाएं नजर आ रही हैं। यहां यह भी महत्त्वपूर्ण है कि इकोनोमी क्लास की तुलना में प्रथम श्रेणी की ओर यात्रियों का आकर्षण अधिक बढ़ रहा है। विमान कंपनियों की भी यह नीति होती है कि वे इकनॉमी क्लास की आठ टिकटों पर कम से कम एक फर्स्ट क्लास की टिकट बेचें।
मार्टिन बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियों के लिए भारत में प्रीमियम सेवा उपलब्ध कराना इसलिए भी मुमकिन है क्योंकि उनके देश में एटीएफ की कीमत यहां के मुकाबले अपेक्षाकृत कम है। साथ ही कंपनियों का कुछ समय से जो नुकसान हो रहा था उसे देखते हुए अधिकांश कंपनियों ने मेंटेनेंस खर्च को कम से कम 50 फीसदी तक कम कर लिया है। मार्टिन कहते हैं कि ऐसे में उनके लिए कुछ अधिक शैंपेन परोसना या फिर कोई और ऑफर देना महंगा नहीं पड़ेगा।
उदाहरण के लिए सिंगापुर एयरलाइंस ने मुंबई और दिल्ली के बीच की उड़ान के लिए प्रीमियम क्लास के यात्रियों को बेहतर सेवाएं देना शुरू कर दिया है। सिंगापुर एयरलाइंस के महाप्रबंधक (भारत) फू चाई वू कहते हैं, ‘ग्राहक संतुष्टि के जरिए हम हमारे प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। यह कदम बाजार को ध्यान में रखकर ही उठाया जा रहा है और यात्री इसके लिए ज्यादा पैसे चुकाने के लिए भी तैयार हैं।’ वू ने बताया कि एयरलाइंस फर्स्ट क्लास को और बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है और इस श्रेणी में सीटों को कम कर के ज्यादा स्पेस उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है ताकि सीटें पहले की तुलना में बड़ी और आरामदायक हों।
सिंगापुर एयरलाइंस में यात्रा करने वाले यात्रियों में 80 फीसदी भारतीय ही होते हैं और कंपनी को 30 से 40 फीसदी का राजस्व बिजनेस क्लास यात्रियों से मिलता है। हांग कांग की कैथे पैसिफिक जिसने पिछले साल हुए द्विपक्षीय समझौते के बाद हाल ही में उड़ानों की संख्या को बढ़ाकर 35 कर दिया है, ने पहली दफा अपने विमानों में फ्लैट सीट के साथ फर्स्ट क्लास सेवा की शुरुआत की है।