विमान विनिर्माता कंपनियों – एयरबस और बोइंग के सामने आ रही आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण विमानन कंपनियों को विमान आपूर्ति अगले चार से पांच साल तक सीमित रहेगी और विमानन कंपनियां उड़ान के अपने नेटवर्क विस्तार को दुरुस्त करने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं कर सकती हैं। एयर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैम्पबेल विल्सन ने आज यह जानकारी दी।
फिलहाल एयर इंडिया के बेड़े में करीब 210 विमान हैं। किफायती विमानन वाली इसकी सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में करीब 90 विमान हैं। पिछले नवंबर में विल्सन ने संवाददाताओं को बताया था कि समूह के बेड़े में विमानों की संख्या अगले तीन साल में 300 से बढ़कर तकरीबन 400 हो सकती है। स्किफ्ट इंडिया फोरम 2025 को संबोधित करते हुए विल्सन ने आपूर्ति श्रृंखला की उन समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया, जिनकी वजह से विमानन कंपनियों को विमान की डिलिवरी में देर हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘हमने 570 विमानों का ऑर्डर (पिछले दो साल में) दिया है। यह कहना उचित होगा कि हर जगह कुछ न कुछ कमी है। नैरो बॉडी वाले विमानों के मामले में कमी वाली चीज इंजन है। वाइड बॉडी वाले विमानों के मामले में प्रथम और व्यावसायिक श्रेणी की सीटों की आपूर्ति के संबंध में कमी है और इसने हमारे रेट्रोफिट (विनिर्माण के बाद किया जाने वाला बदलाव) कार्यक्रम को भी प्रभावित किया है।’
उन्होंने कहा, ‘बोइंग और एयरबस दोनों को अपने विमानों की उत्पादन लाइन में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे अपने आपूर्तिकर्ताओं से विमान के पुर्जे या हिस्से हासिल नहीं कर सकती हैं। इसलिए वास्तविकता यह है कि यह केवल भारत या एयर इंडिया का ही मामला नहीं है, बल्कि बाजार में आपूर्ति की बाधा होने जा रही है। मैं वैश्विक विमानन के बारे में बात कर रहा हूं। यह अगले चार से पांच साल तक बाधित आपूर्ति वाला बाजार बना रहेगा।’