facebookmetapixel
Yearender 2025: टैरिफ और वैश्विक दबाव के बीच भारत ने दिखाई ताकतक्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए जरूरी अपडेट! नए साल से होंगे कई बड़े बदलाव लागू, जानें डीटेल्सAadhaar यूजर्स के लिए सुरक्षा अपडेट! मिनटों में लगाएं बायोमेट्रिक लॉक और बचाएं पहचानFDI में नई छलांग की तैयारी, 2026 में टूट सकता है रिकॉर्ड!न्यू ईयर ईव पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर संकट, डिलिवरी कर्मी हड़ताल परमहत्त्वपूर्ण खनिजों पर चीन का प्रभुत्व बना हुआ: WEF रिपोर्टCorona के बाद नया खतरा! Air Pollution से फेफड़े हो रहे बर्बाद, बढ़ रहा सांस का संकटअगले 2 साल में जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि 8-11% रहने की संभावनाबैंकिंग सेक्टर में नकदी की कमी, ऋण और जमा में अंतर बढ़ापीएनबी ने दर्ज की 2,000 करोड़ की धोखाधड़ी, आरबीआई को दी जानकारी

विज्ञापन एजेंसियों और प्रसारकों के बीच समझौता

Last Updated- December 05, 2022 | 4:24 PM IST

टेलीविजन रेटिंग्स निर्धारित करने के लिए प्रसारकों और विज्ञापन एजेंसियों ने हाथ मिला लिया है। इससे मुंबई स्थित टीएएम मीडिया रिसर्च के व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अभी तक टीएएम मीडिया ही प्रसारकों और विज्ञापन एजेंसियों को रेटिग्स उपलब्ध कराया करती थी। टेलीविजन रेटिंग्स किसी भी टीवी चैनल और कार्यक्रम की सफलता और असफलता निर्धारित करती हैं। लगभग 17,000 करोड़ की विज्ञापन इंडस्ट्री अपने विज्ञापनों के लिए इन रेटिंग्स पर ही निर्भर होती है। लगभग 6,800 करोड़ की कमाई इस इंडस्ट्री को टीवी के जरिए ही होती है और ये सब बहुत हद तक चैनलों की रेटिंग्स के हिसाब से निर्धारित होती है।
रेटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति पर सरकार, प्रसारकों और विज्ञापकों द्वारा  काफी आलोचना की जा रही थी। इस आलोचना के बाद ही प्रसारण नियामक ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक संस्था) को इस विवाद में हस्तक्षेप करना पड़ा था।
हालांकि कई हिस्सेदारों ने समय समय पर टीएएम द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों पर सवाल उठाए थे और ट्राई को इस मामले पर ध्यान देने के लिए कहा था। ऐसा समझा जा रहा है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय  की पहल पर ट्राई एक स्वतंत्र टीवी रेटिंग एजेंसी बनाने पर विचार कर रहा है।
इस पहल से कई कं पनियों को इस क्षेत्र में सेवा देने का मौका मिलेगा जोकि काफी समय से शेयर धारकों की मांग रही है। विज्ञापन एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक  टेलीविजन रेटिंग्स निर्धारित करने के लिए अभी पीपुल मीटर डिवाइस का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह डिवाइस पूरे देश भर में चुनिंदा  घरों में लगा दिया जाता है। फिर कितनी देर कौन सा चैनल देखा गया, कौन सा कार्यक्र म कितनी देर देखा गया जैसे आंकड़े रिकॉर्ड कर लेता है। रेटिंग कंपनियों द्वारा इन आंकड़ों को एकत्र कर लिया जाता है और फिर  पहुंच, रेटिंग और अन्य पैमानों पर किसी भी चैनल की रेटिंग तय की जाती है। सूत्रों के मुताबिक लगभग 7.5 करोड़ टेलीविजन के लिए पूरे देश में मात्र 7000 पीपुल मीटर ही है। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक इस तरीके में गल्तियों की गुंजाइश बहुत ज्यादा है।
हाल ही में शेयर धारकों और ट्राई के बीच हुई बैठक में एक स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी की जरुरत महसूस की गई। जी समूह के वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि उनका समूह  इंडस्ट्री द्वारा गठित किसी भी टीवी एजेंसी का समर्थन करेगा। प्रसार भारती के वरिष्ठ अधिकारियों ने सिर्फ टीवी रेटिंग के बजाय चैनलों की गुणवत्ता के हिसाब से रेटिंग कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा अगर टीवी कार्यक्रमों की रेटिंग उनके दर्शकों की संख्या के बजाय उनकी गुणवत्ता के आधार पर की जाए।

First Published - March 2, 2008 | 7:39 PM IST

संबंधित पोस्ट