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Smart Meter लगाने की देसी निविदा: Adani का तेजी का नजरिया मगर Tata का रुख चयनात्मक

25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने पर विचार कर रहा है भारत, उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि यह पेशकश बाजार का आकार 2.5 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना बता रहा है

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अमृता पिल्लई   
Last Updated- March 10, 2024 | 11:43 PM IST

बिजली के मीटर स्मार्ट बनाने के भारत के इरादे से अनुमानित तौर पर 2.5 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का मौका मिल सकता है। इसके बावजूद भारत की दो अहम निजी वितरण कंपनियों टाटा पावर और अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस ने इस सेगमेंट को लेकर अलग-अलग तरीका अपनाया है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा, समय पर मीटर ल गाना और राज्य डिस्कॉम के स्तर पर तकनीक को अपनाना अहम कारक हैं।

भारत विभिन्न योजनाओं के तहत देश भर में 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने पर विचार कर रहा है, जिस पर 10-10 हजार रुपये प्रति इकाई की लागत आएगी (मीटर और रखरखाव)। ऐसे में उद्योग के अधिकारियों ने बाजार का आकार 2.5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है। हालांकि हर कोई इससे उत्साहित नहीं है।

टाटा पावर के अध्यक्ष (ट्रांसमिशन व डिस्ट्रिब्यूशन वर्टिकल) संजय कुमार बंगा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, हमारी दिलचस्पी सिटी सर्किल में है। हम इस बाजार को लेकर बहुत आक्रामक नहीं हैं क्योंकि हमें इसके मुश्किलात का अंदाजा है।

जुलाई में टाटा पावर को छत्तीसगढ़ में 18.60 लाख मीटर लगाने और उसके रखरखाव का 1,744 करोड़ का ऑर्डर मिला था। टाटा पावर की प्रतिस्पर्धी अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस के पास स्मार्ट मीटर कारोबार के लिए बड़ी योजना है।

जनवरी में निवेशकों के साथ बातचीत में अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस ने कहा था कि उसके पास 25,100 करोड़ रुपये के स्मार्ट मीटर के नौ अनुबंध हैं, जिसमें 21.1 करोड़ मीटर लगाए जाने हैं और बाजार हिस्सेदारी 21 फीसदी है। अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस ने हालांकि गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड की तरफ से दी गई प्रश्नावली पर टिप्पणी नहीं की।

अगस्त में बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में अदाणी एनर्जी सॉल्युशंस के प्रबंध निदेशक अनिल सरदाना ने कहा था कि बिजली वितरण कारोबार में 5-6 कंपनियां स्मार्ट मीटर लगाने के लिए सही मायने में उपयुक्त हैं। हालांकि निवेशकों संग ताजा बातचीत में अदाणी एनर्जी ने कहा है कि यह क्षेत्र शुरुआती कंपनी को उच्च एबिटा मार्जिन की संभावना की पेशकश करता है।

टाटा पावर के बंगा ने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां बड़ी जेब वाली कंपनियां ही प्रतिस्पर्धा करेंगी। उन्होंने कहा कि हमें मीटर लगाने में देरी मार्जिन को लेकर बड़ा जोखिम दिखता है और यह वैसी निविदा में होगा जहां राज्यवार गुंजाइश है। उ‍न्होंने कहा, जब मीटर लगा दिए जाते हैं तब एक बार ही राजस्व मिलता है। अगर इसे लगाने में देर होती है तो यह मार्जिन​ को चट कर सकता है क्योंकि मीटर बेकार पड़ा रहेगा।

इस सेगमेंट ने नई कंपनियों मसलन जीएमआर पावर ऐंड अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर को आकर्षित किया है, जिसके पास वितरण व स्मार्ट मीटरिंग दोनों‍ योजना है। जुलाई में कंपनी को उत्तर प्रदेश में 75.69 लाख प्रीपेड मीटर लगाने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट मिला। इस अनुबंध की कुल कीमत 7,593 करोड़ रुपये है।

First Published : March 10, 2024 | 11:28 PM IST