वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 15 फरवरी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) को संबोधित करने वाली हैं। मामले से जुड़े 2 लोगों ने कहा कि केंद्रीय बजट के बाद इस तरह की बैठक की एक परंपरा रही है, लेकिन इस बार अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट पर चर्चा हो सकती है।
सेबी का बोर्ड केंद्र सरकार के मौजूदा नियामक ढांचे, सर्विलांस व्यवस्था की प्रशंसा कर सकता है। साथ ही इस पर भी चर्चा होने की संभावना है कि बाजार में हेरफेर को रोकने के लिए मौजूदा कानूनी ढांचा कितना सक्षम है।
एक नियामक अधिकारी ने कहा, ‘टैक्स हेवन कहे जाने वाले देशों का इस्तेमाल कर भारत में आ रहे विदेशी धन से जुड़े मानकों और निवेशकों के हितों की रक्षा के उपायों पर भी चर्चा हो सकती है।’
इस सिलसिले में सेबी को भेजे गए ई-मेल का कोई उचित जवाब नहीं मिल सका है। उच्चतम न्यायालय ने सलाह दी है कि शेयर बाजार के नियमन की बेहतर व्यवस्था बनाने की जरूरत है, जिसे देखते हुए यह चर्चा अहम है।
शीर्ष न्यायालय ने शुक्रवार को कहा था कि सेबी सोमवार तक जवाब दाखिल करे कि अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट जैसे मामलों से भारत के निवेशकों को बचाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की 24 जनवरी को जारी रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई है।
एक जनहित याचिका में कहा गया है कि अदाणी समूह के शेयरों में कृत्रिम गिरावट के कारण निर्दोष निवेशकों को नुकसान हुआ है, जिसकी सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है।
शीर्ष न्यायालय ने इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय से भी जवाब मांगा है, जिसमें विभिन्न मसले शामिल हैं। इसमें आधुनिक दौर में बाधारहित तरीके से हो रहे पूंजी प्रवाह के बीच निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कड़ी नियामक व्यवस्था लाने का मामला भी शामिल है।
बजट पेश करने के बाद की परंपरा के तहत शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड को संबोधित करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं यहां खुलासा नहीं करूंगी कि सरकार न्यायालय में क्या कहेगी। भारत के नियामक बहुत अनुभवी हैं और वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। नियामक इस मामले को समझ रहे हैं और हमेशा इसे लेकर कदम उठाते हैं, ऐसा सिर्फ अभी की बात नहीं है।’
सूत्रों ने कहा कि सरकार शेयर बाजार में आने वाली विदेशी मुद्रा के प्रवाह का विस्तृत ब्योरा दे सकती है। साथ ही गोपनीयता वाले न्यायिक क्षेत्र में स्थापित शेल कंपनियों के माद्यम से आने वाले धन के लाभार्थी मालिकों को जानने की राह में आने वाली चुनौतियों की जानकारी दे सकती है।
बहरहाल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि अदाणी मामले से एलआईसी, एसबीआई जैसे वित्तीय संस्थानों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा एलआईसी जैसे संस्थान बाजार में विविधीकृत दीर्घावधि निवेशक हैं, जिन्होंने कई फर्मों में निवेश किए हैं। उनके निवेश का मूल्य भी बदलता रहता है। इसलिए शेयर धारकों को भी चिंता नहीं करनी चाहिए।
हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर धोखाधड़ी वाले देन देन करने और शेयर की कीमतों को प्रभावित करने सहित कई आरोप लगाए थे, जिसके बाद इस समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई। अदाणी समूह ने आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वह सभी कानूनों और खुलासा जरूरतों का पालन करती है।
उल्लेखनीय है कि अदाणी इंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) 1 फरवरी को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि बाजार में उतार-चढ़ाव है। कंपनी के शेयर की कीमतें ऑफर प्राइस से नीचे पहुंच गए थे, उसके बाद कंपनी ने फैसला किया। अदाणी के शेयरों की बिकवाली की कहानी के अलावा सेबी बोर्ड बजट में घोषित प्रस्तावों पर विचार कर सकता है। इसमें हितधारकों से विचार विमर्श के बाद वित्तीय क्षेत्र के नियामकों द्वारा नियमों की समीक्षा करना शामिल है।
अनुपालन की लागत कम और सरल करने का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा था कि वित्तीय क्षेत्र के नियामकों से व्यापक समीक्षा का अनुरोध किया जाएगा। सेबी का बोर्ड वैश्विक और घरेलू बाजार की स्थिति और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा कर सकता है।