देश की अग्रणी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी और टाटा पावर अपनी नई परियोजनाओं की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति के लिए ग्रीन (हरित) बॉन्ड्स के जरिए धन जुटाने की योजना बना रही हैं। बैंकरों के अनुसार, जहां अदाणी ग्रीन एनर्जी का अपने तीसरे ग्रीन बॉन्ड के जरिए 1 अरब डॉलर की धनराशि जुटाने का प्लान है, वहीं टाटा पावर सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड लोन /sustainability linked loan (SLL) के जरिए 320 मिलियन (0.32 अरब) डॉलर की धनराशि जुटाने की तैयारी में है।
सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू ग्रुप भी लंबी अवधि की सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड लोन और तुलनात्मक रूप से थोडे लो-कॉस्ट ग्रीन बॉन्ड की ओर रुख करने की तैयारी में है।
बैंकरों ने कहा, ‘अदाणी ग्रीन फंड दिसंबर तक बॉन्ड लॉन्च करेगा, जबकि टाटा पावर अक्टूबर में फंड जुटाएगा।’ भारतीय कंपनियों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए ग्रीन बॉन्ड का उपयोग किया जाता है जबकि सस्टेनेबिलिटी से जुड़े ऋणों का उपयोग ग्रीन ट्रांज़िशन परियोजनाओं (green transition projects) के लिए किया जाता है।
बैंकरों का कहना है कि जैसे-जैसे भारतीय कंपनियां जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) से पर्यावरण के अधिक अनुकूल परियोजनाओं की ओर रुख कर रही हैं , ग्रीन बॉन्ड और सस्टेनेबिलिटी से जुड़े लोन की मांग में काफी वृद्धि होगी। अदाणी समूह अगले दशक में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं (renewable energy projects) में 70 अरब डॉलरक निवेश की योजना बना रहा है और अधिकांश धन ग्रीन बांड के जरिए जुटाया जाएगा। अमेरिकी प्रतिभूति बाजार के नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) का हवाला देते हुए बैंकर ने कहा, ‘अदाणी की 1 अरब डॉलर की पेशकश 20 साल के टेन्योर के लिए होगी और भारत से बाहर यह पहला एसईसी (SEC) पंजीकृत (registered) बॉन्ड होगा।’
बैंकर ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में करीब 77,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है, जल्द ही फंड जुटाने के लिए ग्रीन बॉन्ड बाजार में उतारेगी। बैंकरों के मुताबिक, टाटा पॉवर के अलावा, जो 2026 तक ग्रीन परियोजनाओं में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है, टाटा स्टील सहित टाटा समूह की अन्य कंपनियां सस्टेनेबिलिटी से जुड़े ऋणों के जरिए सस्ते धन जुटाने के विकल्पों पर विचार कर रही हैं।
कैलेंडर वर्ष 2022 के पहले 9 महीनों में, भारतीय कंपनियों ने कैलेंडर 2021 की समान अवधि में जुटाए गए 4.9 अरब डॉलर की तुलना में 1.79 अरब डॉलर के ग्रीन बॉन्ड जारी किए हैं। बैंकरों के अनुसार यूक्रेन युद्ध के बाद मुद्रा (currency) बाजारों में आई अस्थिरता की वजह से कंपनियां अपने पेशकशों ( offerings) को अगले छह महीने के लिए स्थगित कर रही हैं।
रेटिंग फर्म मूडीज के अनुसार, कार्बन इंटेंसिव सेक्टरों में लेंडर्स (lenders) का एक्सपोजर लंबी अवधि के लिए एसेट रिस्क (asset risks) पैदा करता है जबकि कानूनी (legal) और प्रतिष्ठा को लेकर (reputational) रिस्क बढ़ रहे हैं, इसलिए बैंक भी अपने पोर्टफोलियो में ग्रीन परियोजनाओं को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं।