अदाणी-होल्सिम सौदे से सीमेंट उद्योग मेंं एकीकरण का दौर शुरू हो सकता है, यह कहना है उद्योग के जानकार और विशेषज्ञों का। ज्यादातर बड़ी कंपनियों ने विस्तार की अहम योजना का खाका तैयार किया है जबकि अहम बाजारों में सरप्लस है। इसके अलावा र्ईंधन की बढ़ती लागत और ज्यादा लागत समाहित करने को लेकर बाजार का प्रतिरोध लागत का दबाव बढ़ा सकता है, ऐसी स्थिति में कमजोर कंपनियां बाजार से बाहर निकलने पर विचार कर सकती हैं।
देसी सीमेंट उद्योग ने पिछले दशक में अहम एकीकरण देखा था, यह कहना है क्रिसिल के निदेशक हेतल गांधी का। गांधी ने कहा, होल्सिम समूह से बाहर की चार कंपनियां अल्ट्राटेक सीमेंट, श्री सीमेंट, डालमिया सीमेंट (ओसीएल व डालमिया भारत ईस्ट समेत) और नूवोको विस्टाट) लाफार्ज इंडिया ने क्षमता विस्तार के लिए विलय-अधिग्रहण का इस्तेमाल किया और अपनी बाजार हिस्सेदारी 2015 से 2022 के बीच 26-27 फीसदी से बढ़ाकर 38-39 फीसदी पर पहुंचा दिया।
एक अहम सीमेंट कंपनी ने कहा, यह मूल्यांकन का मामला है। उन्होंने कहा, अगर अदाणी-होल्सिम की कीमत के मुताबिक हो तो कुछ छोटी इकाइयां बिक्री के लिए आ सकती हैं।
आईआईएफएल सिक्यो. की रिपोर्ट के मुताबिक, यह सौदा पिछले सौदों के मुकाबले प्रीमियम पर हुआ है। इसकी गणना बताती है कि अंबुजा की हिस्सेदारी के लिए ईवी/एमटी 170-180 डॉलर प्रति एमटी रहा जबकि अमेरिका में पिछला औसत 100-170 डॉलर प्रति एमटी रहा है।
भारती सीमेंट के निदेशक रविंदर रेड्डी ने कहा, दक्षिम भारत के बाजार में सरप्लस क्षमता है और क्षमता का औसत इस्तेमाल 50 से 60 फीसदी रहा है। अगर वे अधिग्रहण के जरिये बढ़त का विकल्प चुनते हैं तो ग्रीनफील्ड विस्तार बाजार के मौजूदा आयाम को प्रभावित कर सकते हैं।
