अदाणी समूह का पिछले दो वर्षों में सकल ऋण बढ़ा है। लेकिन शुद्ध ऋण में कमी आई है। एबिटा अनुपात में सुधार होने के साथ-साथ नकदी भंडार भी बढ़ा है। यह जानकारी वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म बर्नस्टीन ने दी। समूह की ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन (एबिटा) से पहले की कमाई के मुकाबले शुद्ध ऋण अनुपात पिछले साल मार्च के 4.4 फीसदी से कम होकर इस साल सितंबर में 2.7 फीसदी रह गया।
साथ ही अदाणी ग्रीन, अदाणी ट्रांसमिशन, अदाणी पावर में भी सुधार देखा गया। बर्नस्टीन के मुताबिक इसका बड़ा कारण एबिटा का बढ़ना है क्योंकि पूरे समूह की परिसंपत्तियों का संचालन होने लगा, रकम जुटने लगी और यहां तक कि लाभप्रदता में भी सुधार हुआ। इसके अलावा बताया जाता है कि समूह के पास 30 सितंबर तक उसके पास 39,000 करोड़ रुपये का नकदी भंडार है जो पिछले साल मार्च के 22,300 करोड़ रुपये के मुकाबले 75 फीसदी अधिक है।
इस बीच, इस साल सितंबर में समूह का सकल ऋण बढ़कर 2,79,300 करोड़ रुपये हो गया। मगर हिंडनबर्ग मामले के बाद से कम होने लगा था। समूह का सकल ऋण पिछले साल मार्च के 2,41,000 करोड़ रुपये से कम होकर पिछले साल सितंबर में 2,38,500 करोड़ रुपये हो गया था। कंपनी के सकल ऋण बढ़ने का बड़ा कारण अदाणी एंटरप्राइजेज है, जिसका सकल ऋण पिछले साल सितंबर के 57,100 करोड़ रुपये से बढ़कर इस साल सितंबर में 80,400 करोड़ रुपये हो गया।
ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में समूह ने बैंकों के बजाय बॉन्ड बाजार को प्राथमिकता दी है। हालांकि मार्च 2023 के बाद से ही डॉलर बॉन्ड का हिस्सा घटा है और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) धन के स्रोत के रूप में उभरी हैं। बर्नस्टीन के अनुसार इसकी वजह डॉलर बॉन्ड की तुलना में भारतीय बाजार में अनुकूल दरें हो सकती हैं।
समूह ने धन के लिए घरेलू बैंकों-सार्वजनिक और निजी दोनों- पर भी निर्भरता घटाई है। इस मामले में वित्त वर्ष 2016 में बैंकों का हिस्सा 86% था जो 2024 में घटकर 15 फीसदी रह गया और बॉन्ड का हिस्सा भी 14% से बढ़कर 31 फ़ीसदी हो गया।