भारत में इस साल गेहूं का उत्पादन पिछले साल से बेहतर होने की उम्मीद है। उद्योग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और प्रतिनिधियों के मुताबिक, अगर अगले कुछ हफ्तों तक मौसम लगातार अनुकूल बना रहे तो ऐसा संभव हो सकता है।
बीते महीने के आखिरी हफ्तों में अचानक गर्मी बढ़ गई थी मगर पिछले कुछ दिनों में मौसम में बदलाव आया है और मैदानी इलाकों में तेज हवाएं चलने से सर्दी का फिर से एहसास होने लगा है।
भारतीय मौसम विभाग के हालिया अपडेट में कहा गया है कि अगले 24 घंटों के दौरान दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में 25 से 35 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 45 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से तेज हवाएं चलने के आसार हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि नौ से 11 मार्च के बीच जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में हल्की बारिश अथवा बर्फबारी हो सकती है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा है, ‘पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी का मैदानी इलाकों पर भी असर पड़ने की संभावना है।’
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर पूरे दिन यानी 24 घंटे के दौरान कुल औसत तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है तो यह गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद होगा। हरियाणा जैसे उत्तर भारत के कई राज्यों में बीते दिनों बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई, जिसे कुछ इलाकों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है। क्षति की सीमा का अभी आकलन किया जा रहा है। हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए दावा और क्षति की जानकारी देने के वास्ते क्षति आकलन पोर्टल शुरू करने का निर्देश दिया है।
इस हफ्ते की शुरुआत में एक सालाना कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे आटा मिल उद्योग के जानकारों का कहना था कि साल 2025-26 के विपणन वर्ष में गेहूं का उत्पादन 11 करोड़ टन के आसपास हो सकता है, जो पिछले साल के 10.6 करोड़ टन से अधिक है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में फसल की स्थिति अब तक अच्छी है। कीमतें भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रही हैं।
हालांकि, बीते कुछ दिनों में आवक बढ़ने के कारण कीमतों में थोड़ी नरमी आई है। एगमार्कनेट डॉट जीओवी डॉट इन के आंकड़ों से पता चलता है कि मध्य प्रदेश के इंदौर मंडी में आज गेहूं 2,700 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, जो इसके लिए तय 2,425 रुपये एमएसपी से अधिक था। लेकिन कुछ दिनों पहले कीमत करीब 2,964 रुपये प्रति क्विंटल थी यानी भारी आवक के कारण कीमतों में थोड़ी नरमी आई है। प्रमुख रबी फसलों में शामिल चना भी करीब 5,601 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा था, जो इसके लिए तय 5,650 रुपये एमएसपी के आसपास ही है। मगर राजस्थान की कई मंडियों में सरसों का बीज 5,950 रुपये की एमएसपी से कम कीमत पर बिक रहा था, जो कि चिंता का विषय है। इसने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क फिर से बढ़ाने की मांग को तेज कर दिया है।
पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र ने क्रूड पाम, सोया और सूरजमुखी के तेल पर प्रभावी आयात शुल्क 12.5 फीसदी बढ़ाकर 32.5 फीसदी कर दिया था और रिफाइंड तेलों पर प्रभावी आयात शुल्क 13.75 फीसदी से बढ़ाकर 35.75 फीसदी कर दिया था। कुछ हफ्ते पहले, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि केंद्र किसानों और घरेलू उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए आयात और निर्यात नीतियों में सभी आवश्यक बदलाव करेगा।