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अमेरिका-यूरोप से निराश, चीन के बाजार से आस

Last Updated- December 11, 2022 | 12:35 PM IST

चीन का उभरता बाजार भारत के लिए निर्यात का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय बाजार से भारतीय उत्पादों की मांग में तेजी से कमी आ रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि वाणिज्य मंत्री ने चीन को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में खासतौर पर फार्मास्यूटिकल्स और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद पर जोर दिया है। इसी अधिकारी का कहना है, ‘हमें यह उम्मीद है कि फार्मा उत्पादों और कृषि उत्पादों के रणनीतिक निर्यात के जरिए चीनी बाजार में अपनी खास मौजूदगी दर्ज कराएंगे।’
फार्मा निर्यात का वर्गीकरण खासतौर पर ड्रग, दवाएं और रसायनों के तौर पर होता है। निर्यात सूची में भारत से निर्यात होने वाले सामानों में फार्मा से जुड़े उत्पाद पांचवां सबसे बड़ा सामान है। लेकिन पिछले साल अप्रैल-दिसंबर की अवधि में भारत में बने चीन को निर्यात किए गए फार्मा उत्पाद 10 करोड़ डॉलर से भी कम हैं।
इस तरह भारत से फार्मा निर्यात की हिस्सेदारी में इसका हिस्सा 2 फीसदी से भी कम है। इस साल मार्च में भारत से निर्यात में रिकॉर्ड स्तर पर 33 फीसदी तक की गिरावट आई और पिछले वित्तीय वर्ष के निर्यात वृद्धि में कुल 3 फीसदी तक की कमी आई। पिछले साल सितंबर में पश्चिमी देशों के बाजार में मंदी के असर की वजह से भारत के कुल निर्यात पर गंभीर असर पड़ा।
भारत और चीन के कारोबार में भी इस साल जनवरी-मार्च में सालाना आधार पर 29 फीसदी तक की गिरावट आई। भारत और चीन के बीच वित्त वर्ष 2009-10 के बीच कारोबार का लक्ष्य 60 अरब डॉलर रखा गया है जिसमें पिछले साल के मुक ाबले 10 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी हुई है।
फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक रघुवीर किनी का कहना है, ‘चीन में दवा उत्पादों के लिए बाजार है खासतौर पर बल्क ड्रग्स की जिसे तलाशा जा सकता है।’ चीन बल्क ड्रग्स का आयात अपने बड़े कारोबारी साझीदारों यूरोपीय संघ, अमेरिका, भारत और जापान से करता है।
चीन बल्क ड्रग्स (दवा में इस्तेमाल किए जाने वाले घटक) का आयात करता है क्योंकि घरेलू स्तर पर इसकी आपूर्ति नहीं हो पाती है। बल्क ड्रग्स का ऑडर्र संयुक्त उद्यम के समझौते के जरिए की जाती है ताकि ब्रांड ड्रग्स का उत्पादन किया जा सके और उसकी कीमत भी आकर्षक हो।
जब चीन से यह पूछा गया कि भारत से आयात किए जाने वाले माल पर गुणवत्ता के मानक के लिए कोई कड़े कदम उठाएगी, इस पर वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, ‘ड्रग पंजीकरण और जरूरी सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) के उपायों पर भी नजर रखना है।’
फार्मा उद्योग के एक विशेषज्ञ का कहना है, ‘नियामक प्राधिकरणों के द्वारा ड्रग्स का पंजीकरण एक नियमित सुरक्षा के उपाय का एक कदम है और इससे चीन के निर्यात पर कोई बाधा नहीं पहुंचेगी।’

First Published - May 8, 2009 | 11:23 PM IST

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