जीरा उत्पादन के मामले में देश के सबसे बड़े राज्य गुजरात में खराब मौसम के चलते इस साल इसकी पैदावार पर खासा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है ।
क्योंकि राज्य कृषि विभाग और कारोबारी इसके उत्पादन अनुमान को लेकर एकमत नहीं हैं।
एशिया में जीरे की सबसे बड़ी मंडी ऊंझा (गुजरात) के कारोबारियों का कहना है कि कोहरे और खराब मौसम के चलते इसका उत्पादन प्रभावित होगा जबकि राज्य कृषि विभाग का कहना है कि रकबे में बढ़ोतरी के चलते इस साल इसकी बंपर पैदावार होगी।
कारोबारियों के मुताबिक, सीजन की शुरुआत में जब गुजरात के विभिन्न हिस्सों में इस बाबत स्टडी की गई थी तो पता चला कि कालिया और सुखारा बीमारी जीरे के पौधों की बढ़ोतरी में बाधक बनी हुई है।
ऊंझा के कारोबारी जितेंद्र जैन ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस साल जीरे का रकबा 25-30 फीसदी बढ़ा है, लेकिन खराब मौसम के चलते इसकी पैदावार में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।
उन्होंने कहा कि जीरे की पैदावार कितनी होगी, यह आने वाले एक-डेढ़ महीने के मौसम पर निर्भर करेगा क्योंकि ऐसे समय में पर्याप्त तापमान की जरूरत होती है।
उधर, राज्य के कृषि विभाग का कहना है कि इस रबी सीजन में जीरे का रकबा करीब 30 फीसदी बढ़ा है और यह पिछले साल के 2.59 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 3.31 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
वैसे पिछले तीन साल से औसतन 2.23 लाख हेक्टेयर इलाके में जीरे की फसल बोई जाती रही है। विभाग का कहना है कि अब तक जीरे की फसल के खराब होने की रिपोर्ट हमें नहीं मिली है।
कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस साल उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र इलाकेमें रकबा बढ़ा है।