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सरकार ने लिया मजबूरी में फैसला

Last Updated- December 10, 2022 | 10:26 PM IST

गेहूं कारोबारियों का कहना है कि स्टॉक सीमा समाप्त करने से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।
क्योंकि इस साल गेहूं की रिकॉर्ड उपज होने की संभावना है और सरकार के पास भी गेहूं का रिकार्ड भंडार मौजूद है।
कारोबारियों के मुताबिक गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल है और मंडी शुल्क व अन्य खर्चों को शामिल करने के बाद थोक मंडी तक पहुंचने के बाद गेहूं की कीमत 1200 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास होती है जबकि फिलहाल मंडी में गेहूं की कीमत 1150 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।
दिल्ली अनाज मंडी के कार्यकारिणी सदस्य एवं गेहूं के थोक कारोबारी अशोक बंसल कहते हैं, सरकार के इस फैसले से आने वाले समय में गेहूं के भंडारण में थोड़ी राहत जरूर मिल जाएगी। पहले कारोबारी तय स्टॉक को खत्म करने के बाद ही नयी खरीदारी करते थे। दिल्ली में थोक कारोबारियों के लिए 1000 क्विंटल की स्टॉक सीमा तय है।
सरकार के पास फिलहाल 150 लाख टन से अधिक गेहूं का स्टॉक है और इस बार पिछले साल की तरह ही 7.7 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। कारोबारियों के मुताबिक स्टॉक सीमा समाप्त करने का फैसला सरकार ने मजबूरी में लिया है क्योंकि सरकार के पास गेहूं रखने की जगह की कमी है।
कुछ दिन पहले सरकार ने अपने स्टॉक को कम करने के लिए आटा मिलों को सस्ती दरों पर गेहूं की बिक्री की थी। वे कहते हैं कि स्टॉक सीमा समाप्त करने का फायदा कारोबारियों को तभी होता जब गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी की कोई गुंजाइश होती। गेहूं की नयी आवक से बाजार फिलहाल कमजोर होता ही दिख रहा है।   

First Published - March 31, 2009 | 10:53 PM IST

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