मूसलाधार बारिश (Rain Alert) ने सब्जियां तो महंगी की ही हैं आम (Mango) का स्वाद भी बिगाड़ दिया है। पहले बेमौसम बारिश और अब लगातार बारिश के कारण बागवान, कारोबारी और आम के शौकीनों के अरमानों पर पानी फिर रहा है। फसल बिगड़ने से कारोबारियों को अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं और आम आदमी को खाने के लिए अच्छे आम नहीं मिल रहे हैं।
दिल्ली में आजादपुर मंडी के आम कारोबारी विजय दुआ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि बारिश के कारण आम में कालापन आने के कारण यह जल्द खराब होने लगा है। इस डर से खुदरा कारोबारी और उपभोक्ता पहले से कम आम खरीद रहे हैं। इस कारण स्थानीय बाजारों में इसकी बिक्री घटी है।
जो कारोबारी आम के लिए थोक कारोबारियों को पहले ही भुगतान कर चुके हैं, उन्हें ज्यादा चपत लग रही है। उन्हें मजबूरन आम मंगाना पड़ रहा है मगर बढ़िया माल नहीं होने के कारण मार्जिन आधे से भी कम रह गया है। बेहद खराब आम तो खरीद मूल्य से भी कम पर बेचना पड़ रहा है।
लंगड़ा, चौसा, दशहरी आम का भाव 15 से 40 रुपये किलो के बीच आया
दिल्ली की थोक मंडियों में भी लंगड़ा, चौसा, दशहरी यहां 15 से 40 रुपये किलो के भाव चल रहा है। पहले 50-60 फीसदी आम अच्छी गुणवत्ता का था, जो 30-40 रुपये किलो बिका। अब हल्की गुणवत्ता वाला आम आने पर भाव 15-20 रुपये किलो ही मिल रहे हैं।
आजादपुर मंडी के ही आम कारोबारी राजेश गांधी कहते हैं कि बारिश के कारण आम की स्थानीय बिक्री भी 30 फीसदी घट गई है। यहां से पंजाब, राजस्थान और जम्मू कश्मीर भी आम पहले से कम जा रहा है क्योंकि बारिश में आम दागी हो गए हैं और रास्ते रुके होने के कारण उनके पहुंचने में भी कम समय लगेगा।
इसलिए कारोबारी डर से कम खरीद कर रहे हैं। पिछले कुछ दिन से मंडी में रोजाना 150 से 200 गाड़ी आम आ रहा था मगर 25 से 30 गाड़ी बिके बगैर ही रह जाती थीं। सोमवार को आवक घटकर 100 से 125 गाड़ी ही रह गई।
लागत न निकलती देख किसानों ने सड़कों पर फेंके आम
उधर उत्तरप्रदेश में काकोरी-मलिहाबाद की थोक मंडियों में इस बार दशहरी का भाव आलू से भी कम गया। लागत न निकलती देख कर कई कारोबारियों ने अपने आम मलिहाबाद में सड़क किनारे फेंक दिए हैं। जुलाई की शुरुआत में औसत आकार के दशहरी के भाव थोक मंडी में महज 10 रुपये किलो लगे। पिछले कई साल में इतना कम भाव नहीं दिखा।
आम का निर्यात बाजार भी इस बार बैठ गया है। दशहरी की अच्छी खपत वाले देशों ओमान और थाईलैंड में इस बार माल नहीं के बराबर गया है। मलिहाबाद में आम के कारोबारी और नफीस नर्सरी के मालिक शबीहुल हसन बताते हैं कि कोविड के कारण 2 साल निर्यात बिल्कुल बंद रहा, पिछले साल फसल में कीड़े देखकर विदेशी कारोबारी पीछे हट गए और इस बार भी कीड़ों के डर से ज्यादा ऑर्डर नहीं मिले। रही-सही कसर बेमौसम बारिश ने पूरी कर दी।
कई जगह सीधी उड़ान सेवा नहीं होने से भी नुकसान
कई जगह सीधी उड़ान सेवा नहीं होने से भी नुकसान हो रहा है। हसन बताते हैं कि मालदीव के लिए आम दुबई के रास्ते भेजना पड़ता है। वहां आम चार घंटे तक 45-50 डिग्री गर्मी में खुला पड़ा रहता है और चार घंटे बाद मालदीव के लिए रवाना किया जाता है। तापमान में इतने उतार-चढ़ाव की वजह से दशहरी में काले धब्बे की शिकायत आ जाती है। इसीलिए कई ऑर्डर रद्द करने पड़े हैं। उन्होंने बताया कि इस बार उत्तर प्रदेश से ही 100-150 टन से ज्यादा दशहरी के निर्यात का अनुमान था मगर असल निर्यात बहुत कम रहा होगा।
दशहरी का सीजन खत्म होने में बस एक सप्ताह का समय बचा है और कीमतों में जिस कदर गिरावट देखी जा रही है उसे देखते हुए कारोबारियों को आगे चौसा व सफेदा आम से भी बहुत उम्मीदें नहीं रह गयी हैं। मलिहाबाद के आढ़तिये उम्मीद से ज्यादा उपज को भी दाम गिरने की वजह बताते हैं।
हसन कहते हैं कि बाजार के अनुमान से ज्यादा दशहरी बाजार में आ गया और खरीदार बिदक गए। मलिहाबाद-काकोरी में करीब 30,000 हेक्टेयर में आम के बागान हैं। सामान्य सीजन में प्रदेश में 45 लाख टन आम की पैदावर होती है, जो इस साल 50 लाख टन रहने का अनुमान है।