दिसंबर में स्टील कंपनियों ने कीमतें 2,500 रुपये प्रति टन से ज्यादा बढ़ा दी है और इस तरह से कीमतें साल 2018 के सर्वोच्च स्तर के पार निकल गई है। 1 दिसंबर से फ्लैट स्टील की कीमतें 2,500-2,750 रुपये प्रति टन बढ़ाई गई है। जेएसपीएल ने लॉन्ग उत्पादों की कीमतें करीब 1,000 रुपये प्रति टन बढ़ाई है।
हॉट रोल्ड कॉयल यानी एचआरसी की बाजार कीमत (फ्लैट स्टील के लिए बेंचमार्क) अब 47,500-47,800 रुपये प्रति टन हो गई है। यह कीमत नवंबर 2018 की एचआरसी कीमतों के सर्वोच्च स्तर से ज्यादा है। थोड़े समय के लिए एचआरसी की कीमतें 46,250 रुपये प्रति टन हुई थी और उसके बाद घटनी शुरू हो गई थी।
स्टील की ऊंची कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक है। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक व विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, स्टील की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी हैं, जो बेहतर मांग व उच्च लागत को प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने कहा, देसी स्टील की कीमतोंं में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला है। हालांकि देसी कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले 6 फीसदी कम है। मौजूदा अंतरराष्ट्रीय भाव साल 2018 का ट्रेंड बता रहा है। बढ़ी हुई कीमतें मासिक हैं और हाजिर कीमतेंं हैं। आचार्य ने यह भी कहा कि अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय लौह अयस्क की कीमतें 83 डॉलर थी, जो अभी 130 डॉलर है और यह छह साल का नया उच्चस्तर है।
देसी बाजार में अयस्क की कम उपलब्धता ने भी कीमतों पर दबाव बनााय है। लौह अयस्क की कीमतें उच्च स्तर पर हैं, वहीं कोकिंग कोल की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर है क्योंंकि चीन के स्टील निर्माताओं पर ऑस्ट्रेलियाई कोकिंग कोल की खरीद पर पाबंदी है।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, मार्जिन के लिहाज से पिछले दो तीन साल में यह सबसे अच्छी तिमाही होगी क्योंंकि कोकिंग कोल की कीमतें काफी कम हैं।
मोतीलाल ओसवाल ने एचआरसी के लिए स्टील स्प्रेड 33,000 रुपये प्रति टन रखा है जबकि रीबार के लिए 30,000 रुपये प्रति टन। मोतीताल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के इक्विटी रणनीति प्रमुख हेमांग जानी ने कहा, तीसरी तिमाही में भातीय स्टील का स्प्रेड 25 फीसदी बढ़ा है और यह तीन साल के उच्चस्तर पर है। हमें लगता है कि देसी मांग मेंं सुधार और क्षेत्रीय स्तर पर उच्च्च कीमतों के कारण स्प्रेड और मजबूत होगा। प्रति टन एबिटा में सुधार और भी बेहतर होगा क्योंकि सेल्स मिक्स में बेहतरी हो रही है और वैल्यू ऐडेड सेल्स में इजाफा हो रहा है।
खुद की खदान वाली कंपनियोंं को उच्च्च कीमतों से सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है।
अब रीबार की कीमतें करीब 47,200 रुपये प्रति टन है। जेएसपीएल के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, कीमतों का स्तर सबसे ऊपर होगा। कीमतें लंबी अवधि के आधार पर टिकाऊ होगा। स्टील जैसे उच्च्च पूंजीगत खर्च वाले उद्योग में ऐसे मार्जिन की दरकार है।
देसी मांग में सुधार के कारण बाजार ने अब तक कीमतों में बढ़ोतरी को समाहित कर लिया है। पहली तिमाही में इन्वेंट्री जमा होने के बाद अब इन्वेंट्री का स्तर सामान्य से नीचे है।
एएमएनएस के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा, निर्यात में काफी ज्यादा कमी आई है। अब यह कोविड पूर्व स्तर 15-20 फीसदी के आसपास है क्योंंकि सभी बढ़ी हुई देसी मांग को पूरा कर रहे हैं।
शेयर बाजार भी स्टील की कीमतों मेंं हुई बढ़ोतरी से खुश है। बुधवार को टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल और सेल में बढ़ोतरी दर्ज हुई। टाटा स्टील बीएसई पर 3.19 फीसदी चढ़कर 604.25 रुपये पर बंद हुआ जबकि जेएसडब्ल्यू स्टील 2.86 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ।
