पांच अप्रैल को समाप्त हफ्ते में महंगाई की दर भले ही एक सप्ताह पहले के मुकाबले घटकर 7.14 फीसदी पर आ गई हो।
लेकिन स्टील की विभिन्न कैटिगरी की सालाना कीमत में 17.53 फीसदी से लेकर 62 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। कीमत में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी स्टील के लंबे प्रॉडक्ट में हुई है। इनकी कीमतों में 50 से 62 फीसदी तक का उछाल आया है, इसका मतलब ये हुआ कि कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में इसकी मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इसके मुकाबले फ्लैट प्रॉडक्ट में 17-24 फीसदी का उछाल देखा गया है। मांग में बढ़ोतरी की बदौलत लंबे प्रॉडक्ट की हिस्सेदारी कुल स्टील उत्पादन में बढ़ रही है। पिछले तीन-चार साल में कुल स्टील उत्पादन में लंबे प्रॉडक्ट की हिस्सेदारी 45 से 50 फीसदी पर पहुंच गई है।
अगर टीएमटी सरिया की बात करें तो मुंबई में इसकी कीमत में लगभग 62 फीसदी का उछाल आया है। एक साल पहले यानी अप्रैल 2007 में यह 30250 रुपये प्रति टन के स्तर पर था, जो अप्रैल 2008 में बढ़कर 49000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया है। दूसरी ओर एचआर कॉयल की कीमत में महज 22.46 फीसदी का उछाल आया है और यह 34500 रुपये से बढ़कर 42250 रुपये प्रति टन पर पहुंचा है।
परंपरागत रूप से फ्लैट प्रॉडक्ट की कीमत लंबे प्रॉडक्ट की कीमत के मुकाबले ज्यादा होती थी, लेकिन पिछले एक साल में मांग-आपूर्ति के अंकगणित ने इसे बदल दिया है। एक विशेषज्ञ के मुताबिक, अभी यह ट्रेंड जारी रहेगा। अप्रैल 2007 में एचआर कॉयल की कीमत 34500 रुपये प्रति टन पर थी जबकि टीएमटी सरिया की कीमत 30250 रुपये प्रति टन।
एक विशेषज्ञ के मुताबिक, दोनों ही प्रॉडक्ट पर कच्चे माल यानी लौह अयस्क व कोकिंग कोल की बढ़ती कीमत का दबाव पड़ा है। हाउसिंग व कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इन दोनों प्रॉडक्ट की बढ़ती मांग की वजह से इसकी कीमत में बढ़ोतरी को समर्थन मिला है।
एचआर कॉयल का इस्तेमाल पाइप बनाने, जहाज बनाने, कार व साइकल के फ्रेम बनाने, ऑटोमोटिव वील बनाने आदि में होता है। हॉट रोल्ड कॉयल का इस्तेमाल कोल्ड रोलिंग मिल्स में होता है। लंबे प्रॉडक्ट में सेकंडरी उत्पादकों की ज्यादा भागीदारी है। ये उत्पादक करीब 70 फीसदी लंबे प्रॉडक्ट का उत्पादन करते हैं जबकि बाकी उत्पादन सेल व टाटा स्टील आदि करती हैं।