मॉनसून की बेहतर चाल से देशभर में खरीफ फसलों की बुआई रफ्तार पकड़ ली है। चालू फसल सीजन में महाराष्ट्र में फसलों की बुआई रिकॉर्ड बनाने के तरफ अग्रसर है। राज्य में सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुआई हुई है जो सोयाबीन का रकबा पिछले साल की तुलना में करीब चार गुणा अधिक है। वहीं कुल फसलों का रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग तीन गुणा अधिक है। जून और जुलाई में अच्छी बारिश की वजह से महाराष्ट्र में अभी तक 78.54 फीसदी खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है।
महाराष्ट्र कृषि विभाग के अनुसार चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई 8 जुलाई तक करीब 112 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में खरीफ फसलों का रकबा 41 लाख हेक्टेयर के करीब था। फसलों की शानदार बुआई से उत्साहित कृषि विभाग के अधिकारी कहते हैं कि इस साल राज्य में 100 फीसदी से अधिक बुआई होगी।
पूरे खरीफ सीजन के कुल रकबा का अभी प्रदेश में करीब 78.54 फीसदी क्षेत्र में फसलों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल 8 जुलाई तक सिर्फ 28.62 फीसदी ही खरीफ फसलों की बुआई हो पाई थी। कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस साल बुआई का पैटर्न सही रास्ते पर है और अगले कुछ हफ्तों में खरीफ बुआई के तहत औसत क्षेत्र तक पहुंचने की संभावना है। जून और जुलाई में हुई बारिश की वजह से राज्य में अब तक बुआई अच्छी रही है।
चालू सीजन में सबसे ज्यादा बुआई सोयाबीन की हुई है। पिछले साल पूरे खरीफ सीजन के दौरान किसानों ने करीब 50 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी। अभी तक राज्य में सोयाबीन का रकबा 43.19 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में सोयाबीन का रकबा 11.07 लाख हेक्टेयर था।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में 100 फीसदी से अधिक बुआई करने वाली यह पहली फसल है। राज्य में सबसे ज्यादा छत्रपति संभाजीनगर में सोयाबीन की बुआई 5.34 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि यहां औसत बुआई 3.78 लाख हेक्टेयर में होती है। इसके अलावा, पुणे जिले सहित पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र के कई जिलों में पिछले कुछ सालों में सोयाबीन की अच्छी बुआई हुई है।
जुलाई में मॉनसून ने गति पकड़ी है और किसानों ने फसलों की बुआई में तेजी दिखाई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 5 जुलाई तक देश में खरीफ फसलों की बुआई लगभग 380 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुआई का काम पूरा हो चुका है। यह बुआई रकबा पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 14 फीसदी अधिक है। पिछले साल इसी अवधि तक 331 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई की गई थी। इस दौरान सोयाबीन के रकबा पिछले साल के 28.86 लाख हेक्टेयर की तुलना में 110 फीसदी बढ़कर 60.63 लाख हेक्टेयर पहुंच गया।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अन्य फसलों की तुलना में सोयाबीन खेती और कटाई आसान है। इसके अलावा, बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। जिसकी वजह से किसान सोयाबीन की खेती की तरफ आकर्षित हुए हैं।
किसान कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने कहा कि सरकार को आने वाले हफ्तों में रोग नियंत्रण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। नासिक के एक कार्यकर्ता सचिन होलकर ने कहा कि सोयाबीन और मक्का पर घोंघे का हमला किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। सरकार को इस कारक का मुकाबला करने के लिए एक आकस्मिक योजना के साथ तैयार रहना चाहिए। कई सीमांत किसान कीटनाशक के छिड़काव का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।
फसलों का रकबा बढ़ने के साथ ही खाद और कीटनाशकों समेत फसलों की बीमारियों में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए बिक्री और मांग में बढ़ोतरी हुई है। फसल बुआई के आंकड़ों को देखते हुए एग्रीकल्चर इनपुट बनाने वाली कंपनियों को इस सीजन में बिक्री में 20 फीसदी तक का उछाल आने की संभावना जताई है।
राज्य सरकार ने आदेश जारी करके कहा है कि खाद-बीज की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए किसानों को आवश्यक मात्रा में बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराये जायें। सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ऊंचे दामों पर बीज बेचने, फर्जी किस्म बेचने, अनावश्यक खरीद के लिए मजबूर करने के खिलाफ कृषि शिकायत व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। शिकायत करने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। शिकायत सही पाए जाने पर विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।