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जुलाई में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना

मॉनसून में होने वाली कुल बारिश में से करीब 34.5 फीसदी वर्षा जुलाई में ही होती है।

Last Updated- June 30, 2025 | 11:26 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

देश के अधिकतर हिस्सों में जुलाई में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 106 फीसदी रहेगा। भारतीय मौसम विभाग ने यह जानकारी देते हुए मध्य भारत, उत्तराखंड और हरियाणा में रहने वाले लोगों को भारी बारिश के कारण बाढ़ की आशंका के प्रति आगाह भी किया।

विभाग के आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि जुलाई में पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों, पूर्वी भारत के कई इलाकों और बिहार सहित दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने के आसार हैं।

जून से शुरू होने वाले मॉनसून सीजन में जुलाई को बहुत जरूरी माना जाता है। मॉनसून में होने वाली कुल बारिश में से करीब 34.5 फीसदी वर्षा जुलाई में ही होती है। जुलाई और अगस्त में मॉनसून में खलल पड़ जाए तो खरीफ की खड़ी फसलों पर काफी असर पड़ता है। बिहार सहित समूचे पूर्वी भारत में सामान्य से कम बारिश के पूर्वानुमान से उन राज्यों की फसल प्रभावित हो सकती है।

मौसम विभाग ने यह भी कहा कि 2025-26 की सर्दियों तक अल नीनो आने की कोई संभावना नहीं है और 2025 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के उत्तरार्द्ध में तटस्थ अल नीनो की स्थिति की करीब 82 फीसदी संभावना है। मौसम विभाग ने बताया है कि भारत में मॉनसून को प्रभावित करने वाला बड़ा कारण हिंद महासागर डायपोल (आईओडी) भी अगले तीन महीने तक तटस्थ रहने की उम्मीद है।

विभाग ने यह भी कहा कि जुलाई में औसत अधिकतम तापमान कई इलाकों में सामान्य से कम रह सकता है। मगर पूर्वोत्तर, उत्तर-पश्चिम, पूर्वी और दक्षिणी प्रायद्वीप के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान की संभावना है।

मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मध्य भारत और आसपास के दक्षिणी प्रायद्वीप में भारी बारिश की काफी संभावना है। इनमें पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, विदर्भ और तेलंगाना के आसपास के इलाकों और गुजरात तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं।  

उन्होंने कहा कि इस तरह की बारिश का पैटर्न आमतौर पर तब होता है जब मॉनसून की रेखा अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर खिसक जाती है और जब कई कम दबाव वाली प्रणालियां बनती हैं।

आम तौर पर, जुलाई में पांच कम दबाव वाली प्रणालियां बनती हैं और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में चलती हैं। इस बीच बताया गया कि जून में 9 फीसदी अधिशेष बारिश के साथ मॉनसून का पहला महीना खत्म हुआ, जो 2000 के बाद से नौवीं बार ऐसा हुआ है जब सबसे ज्यादा बारिश हुई है।

First Published - June 30, 2025 | 11:20 PM IST

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