2025 की पहली छमाही में सोना और चांदी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एसेट क्लास बनकर उभरी हैं। इसकी बड़ी वजह रही ईरान-इज़रायल के बीच बढ़ता तनाव, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव, और वैश्विक मंदी की आशंका। इन हालातों में निवेशकों ने सुरक्षित विकल्प की तलाश में सोने-चांदी की ओर रुख किया।
वैश्विक बाज़ार में इस साल अब तक चांदी की कीमतों में 24.5% की तेज़ी आई है। इसकी वजह है चांदी की मांग का बढ़ना — खासकर क्लीन एनर्जी, कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी इंडस्ट्री में। भारत में मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी 22.09% चढ़ी है। लेकिन सोने ने उससे भी बेहतर प्रदर्शन किया है। दुनिया भर में सोना 25.3% और भारत में 25.6% तक महंगा हुआ है। इसकी वजह रही मंदी के डर से सोने की खरीद और केंद्रीय बैंकों की ओर से बड़े स्तर पर खरीदारी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड नवनीत दमानी का कहना है कि डॉलर इंडेक्स में गिरावट, अमेरिका के फेडरल रिज़र्व द्वारा भविष्य में महंगाई बढ़ने की संभावना जताना, और अमेरिकी बॉन्ड बाज़ार में उतार-चढ़ाव ने सोने-चांदी के लिए रिस्क प्रीमियम बढ़ा दिया है।
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मिराए एसेट शेयरखान के कमोडिटी रिसर्च एनालिस्ट मोहम्मद इमरान का मानना है कि साल की दूसरी छमाही में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। इसकी वजह है इंडस्ट्रियल डिमांड में इज़ाफा (2025 में 3% बढ़ने का अनुमान, 680.5 मिलियन आउंस तक), साथ ही सप्लाई की कमी (117.7 मिलियन आउंस)।
इमरान का अनुमान है कि साल के अंत तक चांदी $40–$42 तक पहुंच सकती है, और 2026 में यह $50 तक भी जा सकती है। वहीं, सोने में थोड़ी मुनाफावसूली के बाद $3,200–$3,185 का सपोर्ट ले सकता है, और फिर $3,600–$3,800 तक जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि अगर अमेरिका में महंगाई बढ़ती है, वैश्विक अर्थव्यवस्था और सिकुड़ती है, या कोई नई ट्रेड वॉर शुरू होती है, तो इससे सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। अमेरिका का कर्ज-जीडीपी रेशियो 126% तक पहुंच गया है, मूडीज़ ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड की है, और चीन अमेरिकी बॉन्ड में निवेश कम कर रहा है। साथ ही, सेंट्रल बैंकों की ओर से सोने की लगातार खरीदारी हो रही है। ये सब सोने की कीमतों को सहारा देंगे।
मोतीलाल ओसवाल के नवनीत दमानी का कहना है कि सोने में फिलहाल सतर्कता बरतें। उनका मीडियम-टर्म टारगेट ₹1,02,000 है, लेकिन फिलहाल इंतज़ार करना समझदारी हो सकती है। चांदी के लिए ‘गिरावट में खरीद’ की रणनीति अपनाने की सलाह दी गई है, जिसमें ₹1,11,000 और ₹1,15,000 के टारगेट दिए गए हैं।
2025 में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें काफ़ी उतार-चढ़ाव भरी रही हैं। साल की पहली छमाही में ओपेक देशों की ओर से उत्पादन बढ़ाने से दाम नीचे रहे। लेकिन ईरान-इज़रायल युद्ध और अमेरिका-चीन तनाव के चलते हाल ही में दाम फिर से चढ़कर पांच महीने के ऊंचे स्तर पर पहुंच गए। ब्रेंट क्रूड अब तक 2025 में 9.27% नीचे है। मगर जानकार मानते हैं कि तेल बाज़ार में अनिश्चितता बनी रहेगी। किसी भी नई जंग, प्रतिबंध या ट्रेड डील के असर से कच्चे तेल के दाम फिर से ऊपर जा सकते हैं।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर जशन अरोड़ा का कहना है कि जो लोग सोना, चांदी और तेल जैसे एसेट्स में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें संतुलित रणनीति अपनानी चाहिए। उनके मुताबिक, सोना सुरक्षा के लिए, चांदी मुनाफे की उम्मीद के लिए, और तेल दुनिया की आर्थिक चाल का फायदा उठाने के लिए बेहतर विकल्प हैं।