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Silver Prices: चांदी में कर सकते हैं इन्वेस्ट, कीमतें जा सकती हैं Rs 1 लाख के पार

Last Updated- May 10, 2023 | 1:19 PM IST
Silver Hallmarking: Like gold, now 'Hallmarking' is necessary on silver too! Know what is the government's plan सोने की तरह अब चांदी पर भी ‘हॉलमार्किंग’ जरूरी! जानें क्या है सरकार का प्लान

घरेलू बाजार में एक तरफ जहां सोने की कीमत अपने ऑल टाइम हाई पर है वहीं व्हाइट मेटल (white metal) यानी चांदी (silver) भी अपने रिकॉर्ड ऊंचाई से ज्यादा पीछे नहीं है।

चांदी की बढ़ी चमक के मद्देनजर आम निवेशक इस कीमती मेटल में निवेश को लेकर उत्सुक दिख रहे हैं। सिल्वर ईटीएफ (silver ETF) की लॉन्चिंग ने भी इस मेटल में निवेश को लेकर लोगों के उत्साह को बढ़ाया है।

पिछले साल से लेकर अभी तक 8 एसेट मैनेजमेंट कंपनियां सिल्वर ईटीएफ या सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (FoF) बाजार में उतार चुकी हैं। लेकिन क्योंकि सोने के मुकाबले चांदी की कीमतों में आम तौर पर ज्यादा वोलैटिलिटी होती है, आम निवेशक इस मेटल में निवेश को लेकर ऊहापोह में होते हैं।

ऐसे बहुत सारे निवेशक अभी भी इस मेटल में निवेश करने से हिचक रहे हैं क्योंकि वे मौजूदा तेजी के टिकाऊ होने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

फिलहाल एमसीएक्स पर चांदी का बेंचमार्क मई कॉन्ट्रैक्ट 75,075 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है। पिछले दिनों इसने 14 अप्रैल को 77,549 का हाई बनाया था। जबकि 77,949 सिल्वर का ऑल टाइम हाई है, जिसे इसने अगस्त 2020 में बनाया था।

अगस्त 2022 के स्तर से सिल्वर की कीमतों में तकरीबन 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। अगस्त 2022 में सिल्वर की कीमत 51,857 रुपये प्रति किलोग्राम तक नीचे गई थी। पिछले एक महीने, तीन महीने, 6 महीने और एक साल में सिल्वर ने क्रमश: 13 फीसदी, 9 फीसदी, 37 फीसदी और 9.63 फीसदी, जबकि इस साल अब तक (YTD) 9 फीसदी, का रिटर्न दिया है।

अगस्त के बाद से कीमतों में आई तेजी की कई वजह हैं। केडिया कमोडिटी के अजय केडिया के मुताबिक डॉलर इंडेक्स ( US Dollar Index) में कमजोरी, यूएस में इंटरेस्ट रेट में और बढ़ोतरी की क्षीण होती संभावना, इंडस्ट्रियल डिमांड में आ रही तेजी, इन्वेंट्री में गिरावट के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर रिसेशन और इन्फ्लेशन जैसी दोहरी चुनौतियां सिल्वर की कीमतों में तेजी के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

इस साल अभी तक यूएस डॉलर इंडेक्स 1.54 फीसदी कमजोर हुआ है। जबकि इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर और 5जी जैसे नए दौर के उद्योगों में सिल्वर की इस समय भारी मांग निकल रही है। साथ ही ज्वैलरी और इन्वेस्टमेंट डिमांड में भी तेजी देखी जा रही है।

सिल्वर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सिल्वर की मांग बढ़कर 1.24 बिलियन औंस के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई। जो 2021 की तुलना में 18 फीसदी ज्यादा थी। वहीं उत्पादन यानी सिल्वर की माइनिंग में महज 2 फीसदी की बढोतरी रही।

परिणामस्वरूप 2022 में सप्लाई में कमी यानी सप्लाई डेफिसिट बढ़कर 237.7 मिलियन औंस के उच्चतम स्तर तक चली गई। इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि वर्ष 2023 में भी 142.1 मिलियन औंस का सप्लाई डेफिसिट रह सकता है।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चांदी की कीमत फिलहाल अपने ऑल टाइम हाई से काफी नीचे है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत अभी 25 डॉलर प्रति औंस के आस-पास है जबकि 2011 में इसने 49.81 डॉलर प्रति औंस का हाई बनाया था। 2011 में चांदी की कीमत घरेलू बाजार में 73,600 की ऊंचाई तक गई थी।

अजय केडिया बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के ऑल टाइम हाई से काफी नीचे रहने के बावजूद घरेलू बाजार में इसके रिकॉर्ड हाई के करीब रहने की वजह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आई गिरावट और इंपोर्ट ड्यूटी हैं। 2011 में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 53 के लेवल पर था जबकि फिलहाल यह 83 के आस पास है। वहीं सिल्वर के इंपोर्ट पर फिलहाल 15 फीसदी ड्यूटी का प्रावधान है।

गोल्ड-सिल्वर रेश्यो (gold-silver ratio) भी सिल्वर के प्राइस आउटलुक के लिए सपोर्टिव है। गोल्ड-सिल्वर रेश्यो गोल्ड और सिल्वर की कीमतों के बीच संबंध को दिखाता है। मतलब एक औंस सोने से कितनी चांदी खरीदी जा सकती है। रेश्यो ज्यादा होने का अर्थ है कि सोने की कीमत अधिक है, जबकि रेश्यो कम होने का मतलब है चांदी में मजबूती आ रही है। फिलहाल गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 78 के करीब है। मार्च 2020 में यह 126.43 तक ऊपर चला गया था। जबकि वर्ष 2011 में इसने 31.70 के निचले स्तर को छू लिया था। अजय केडिया के अनुसार अगर यह रेश्यो आने वाले समय में 70-71 तक चला जाता है तो सिल्वर की कीमतें अगले एक साल में 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर तक जा सकती है।

पिछले साल से अब तक कई सिल्वर ईटीएफ के लांच होने की वजह से भी कमोबेश इन्वेस्टमेंट डिमांड में बढ़ोतरी आई है और कीमतों को सपोर्ट मिला है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2006 में iShares Silver Trust के लांच होने के बाद व्हाइट मेटल ने 2011 में रिकॉर्ड बनाया था। इसलिए आने वाले समय में घरेलू कीमतों को और सर्पोट मिलने की पूरी संभावना बनती है।

घरेलू बाजार में अब तक आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड, निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड, डीएसपी म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, एडलवाइस म्यूचुअल फंड और कोटक म्यूचुअल फंड ने सिल्वर ईटीएफ/FoF शुरू किया है। इस बीच यूटीआई म्यूचुअल फंड के सिल्वर ईटीएफ FoF का एनएफओ 19 अप्रैल को ही बंद हुआ है। एसेट मैनेजमेंट कंपनियां सिल्वर FoF के तहत सिल्वर ईटीएफ में निवेश करते हैं। हालांकि सिल्वर ईटीएफ देश में अभी शुरुआती स्टेज में है।

आम निवेशकों के लिए सिल्वर ईटीएफ इन्वेस्टमेंट का बेहतर विकल्प है क्योंकि इसके जरिए निवेशकों को पारदर्शिता के साथ एक कमोडिटी के रूप में चांदी में निवेश करने की सुविधा मिलती है। ईटीएफ में निवेश का बड़ा फायदा यह है कि इसमें सिल्वर के रखरखाव और सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। सोने और चांदी में निवेश पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन की जरूरत भी पूरा करता है।

केडिया के मुताबिक फंडामेंटल्स के सर्पोटिव होने की वजह से  अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी की अभी काफी गुंजाइश है। और अगर ऐसा होता है तो घरेलू बाजार में कीमतें और आगे जाएंगी। रुपया के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले और कमजोर होने की स्थिति में घरेलू कीमतें  ज्यादा तेजी से बढ़ सकती है।

अजय केडिया की मानें तो इस साल के अंत तक चांदी की कीमत 90 हजार रुपये प्रति किलोग्राम, वित्त वर्ष के अंत तक 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम और अगले 3 से 4 साल में 1.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है।

First Published - April 20, 2023 | 12:49 PM IST

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