बारिश के कारण चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:44 PM IST

चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश भारत इस वर्ष 5 प्रतिशत अधिक चावल का उत्पादन कर सकता है क्योंकि मॉनसून के कारण बुआई में तेजी आई है।


उत्पादन में वृध्दि से चावल के निर्यात पर लगे पाबंदी में नरमी लाई जा सकती है। खाद्य सचिव टी नंदा कुमार ने कल एक साक्षात्कार में कहा कि इस मॉनसून फसल का उत्पादन 840 लाख टन से अधिक होगा। फसल अधिक होने से भारत निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा सकता है।

इससे वैश्विक कीमतों पर और अधिक दबाव बढ़ेगा, जिसमें अप्रैल महीने की रेकॉर्ड कीमत से 33 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। थाइलैंड और जापान, जो विश्व के सबसे आपूतिकर्ता हैं, ने इस वर्ष निर्यात में वृध्दि की भविष्यवाणी की है क्योंकि चावल की अधिक कीमत को देखते हुए किसानों ने बुआई अधिक की है।

खाद्य नीतियों के लिए जिम्मेदार कुमार ने कहा, ‘निर्यात में ढील देने का निर्णय लेने से पहले हम अक्टूबर तक का इंतजार करेंगे। हमें फसल की वास्तविकता जानने की जरुरत है। खाद्य सहायता के रुप में निर्यात जारी रहेगा।’ प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने चावल, गेहूं, मक्का और खाद्य तेलों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है जिसका मकसद महंगाई को नियंत्रित करना है।

उल्लेखनीय है कि महंगाई 16 वर्ष के अधिकतम स्तर पर है। सिंह सरकार को एक साल से कम समय में ही चुनाव का सामना करना है और खाद्य पदार्थों की अधिक कीमत चुनाव में जीतने की संभावना को प्रभावित करता है खास तौर से वैसे देश में जहां की लगभग आधी आबादी 80 रुपये प्रति दिन से भी कम पर जिंदगी जी रही हो।

सरकारी कल्याण योजनाओं के अंतर्गत अनाजों की मांग 5 वर्षों में दोगुनी होने के बाद भारत ने अप्रैल महीने में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। चीन, वियतनाम और ईजिप्ट ने भी स्थानीय आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्यात पर कड़ा रुख अख्तियार किया जिससे फिलिपींस से नाइजीरिया तक के देशों में खाद्य संकट की स्थिति उत्पन्न होने लगी।

पर्याप्त भंडार

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय सेतिया ने कहा, ‘सरकार को सीमित निर्यात की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का कोई तुक नहीं बनता है।

फसल बेहतर है, कीमतों में गिरावट आई है और चावल का भंडार भी पर्याप्त है। सारी चीजें प्रतिबंध को नरम करने के पक्ष में हैं।’ 18 अगस्त तक भारतीय किसानो ने 282 लाख हेक्टेयर में चावल की खेती की है जबकि पिछले पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 256 लाख हेक्टेयर था।

खेती के क्षेत्र में बढ़ोतरी की वजह जून से सितंबर के दौरान का मॉनसून रहा जो दूसरे सप्ताह में सामान्य से अधिक था। मौसम विभाग के अनुसार 13 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में मॉनसून औसत से 36 प्रतिशत अधिक रहा। एजेंसी ने बताया कि 1 जून और 13 अगस्त के बीच बारिश औसत से 2 प्रतिशत अधिक हुई।

कुमार ने कहा कि इस वर्ष चावल की फसल से 20 लाख टन का भंडार बनाने की नीतिगत योजना सरकार की है क्योंकि दक्षिण एशियाई देश आपूर्ति बनाए रखने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हुई गेहूं की रेकॉर्ड फसल से सरकार ने 30 लाख टन का आपातकालीन भंडार बनाया है।

24 अप्रैल को शिकागो में चावल की कीमतें 25.07 डॉलर प्रति 100 पौंड के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। नवंबर डिलीवरी का वायदा कारोबार 16.880 डॉलर पर किया जा रहा था।

First Published : August 20, 2008 | 12:45 AM IST