महाराष्ट्र के लगभग सभी हिस्सों में मॉनसून सक्रिय होने के साथ ही खरीफ फसलों की बुआई ने जोर पकड़ लिया। मॉनसून सक्रिय होने के पहले से ही जिस तरह से किसानों ने कपास की बुआई शुरू की थी, उसको देखते हुए इस बार राज्य में कपास की रिकॉर्ड बुआई होने का अंदाज लगाया जा रहा है। कपास का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से भी खास अभियान शुरू किया गया है।
इस साल मॉनसून थोड़ा देरी से सक्रिय हुआ। देरी की वजह से महाराष्ट्र कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में कपास और सोयाबीन की बुआई को लेकर किसानों से अपील की थी कि वे समय से पहले खेती न करें, इसीलिए प्रशासन ने 31 मई तक कपास के बीजों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद राज्य के कुछ हिस्सों में किसानों ने मई महीने में ही कपास की बुआई कर दी, जिसके पीछे किसानों का तर्क था जहां सिंचाई की व्यवस्था है वहां बुआई की जा रही है लेकिन मॉनसून में देरी के कारण इन फसलों के खराब होने की नौबत आ गई थी। कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि बारिश होने पर फसलों की बुआई जल्दी करना फायदे का सौदा होता है लेकिन बारिश न होने की स्थिति में यह घाटे में बदल जाता है क्योंकि इस तरह की फसलों में कीड़े लगने का खतरा रहता है और सिंचाई व दवा छिड़काव से फसल बच भी गई तो उत्पादन प्रभावित होता है।
माना जा रहा है कि इस बार राज्य में कपास का रकबा 15-20 फीसदी तक बढ़ सकता है। कृषि विभाग का मानना है कि इस साल राज्य में कपास और सोयाबीन का रकबा बढ़ेगा। कपास के प्रति किसान आकर्षित हुए हैं क्योंकि पिछले दो सालों से कपास की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर हो रही है। सीजन के अंत में कपास का भाव 14,000 रुपये प्रति क्विंटल को भी पार कर गया था । जबकि केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6,380 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
किसानों की आय बढ़े इसके लिए कृषि विभाग भी कपास की ज्यादा बुआई पर जोर दे रहा है इसके लिए अहमदनगर जिले में एक गांव एक किस्म नाम से अभियान शुरु किया गया है। जिसके तहत जिले के 61 गांवों में कपास की एक ही किस्म लगाने और उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार की गई है। दाम अधिक मिलने के कारण किसान कपास की फसल की बुआई जोर शोर से कर रहे हैं। प्याज उत्पादक किसान भी इस बार कपास को प्राथमिकता दे रहे हैं। नाशिक जिला प्याज का गढ़ माना जाता है लेकिन प्याज के गिरते दाम के कारण इस बार किसान प्याज की जगह दूसरी फसलों की बुआई का मन बना चुके हैं जिसमें सबसे ज्यादा कपास की बुआई की बात हो रही है।
चालू खरीफ सीजन में कृषि लागत बढ़ने के बावजूद महाराष्ट्र के किसानों की पहली पसंद कपास लग रही है । कपास के बीच महंगे होने के बावजूद बिक्री अधिक है। पिछले साल 475 ग्राम का पैकेट 750 रुपये में मिल रहा था जो इस बार 810 रुपये का है। मॉनसून के सक्रिय होते ही राज्य में बीज की मांग बढ़ गई है जिसके कारण बीज की कालाबाजारी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। हालांकि कृषि विभाग की तरफ से बीज विक्रेताओं को सख्त चेतावनी जारी की गई है और किसानों को भरोसा दिया गया है कि बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है कोई भी तय मूल्य से ज्यादा दाम ले तो उसकी शिकायत तुरंत करें।
देश में दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक वर्ष 2021-22 में 340 लाख टन कपास उत्पादन का अनुमान लगाया गया है जबकि 119 लाख 46 हजार हेक्टेयर में बुआई हुई थी। भारत विश्व में कपास उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। वहीं चीन का स्थान दूसरा है।