खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई सामान्य रहने और मांग तेज होने के चलते, पिछले एक महीने में इसकी कीमतों में लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि कीमतों में इजाफा हुआ है, सोयाबीन के दाम अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। कारोबारियों को उम्मीद है कि बेहतर मांग के कारण कीमतें जल्द ही एमएसपी के स्तर तक पहुंच जाएंगी।
सोयाबीन की सबसे बड़ी मंडी इंदौर में एक महीने पहले 4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकने वाली सोयाबीन की कीमत अब बढ़कर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। हालांकि, यह अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई है। केंद्र सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है, जो 2024-25 में 4,892 रुपये था। कीमतों में हालिया सुधार की मुख्य वजह सोयाबीन के रकबे में आई कमी को माना जा रहा है।
कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार एक अगस्त तक देशभर में सोयाबीन का रकबा बढ़कर 118.54 लाख हेक्टेयर हो गया जो पिछले साल के सामान्य अवधि से करीब चार फीसदी कम है। खरीफ सीजन में सोयाबीन का कुल रकबा 127.19 लाख हेक्टेयर आंका जाता है। सोयाबीन उत्पादक प्रमुख राज्य महाराष्ट्र में सोयाबीन का रकबा पिछले पांच साल के सामान्य रकबे से अधिक हो चुकी है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम है।
महाराष्ट्र कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में चार अगस्त तक 48.82 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 49.73 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी। खरीफ सीजन के दौरान राज्य में सोयाबीन का औसत रकबा 47.21 लाख हेक्टेयर है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में सोयाबीन की फसल अच्छी है सामान्य रकबे से ज्यादा बुवाई हो चुकी है। बेहतर मानसून की देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल रकबा पिछले साल से थोड़ा कम होने के बावजूद उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहने वाला है क्योंकि प्रति हेक्टेयर पैदावार अधिक रहने का अनुमान है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती से मक्का की ओर रुझान देखा गया है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे अन्य प्रमुख राज्यों में सोयाबीन के रकबे में वृद्धि देखी गई है। भारत में कुल सोयाबीन रकबा 2025 के खरीफ सीजन में लगभग 2 प्रतिशत बढ़कर अनुमानित 119.69 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण है।
सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक के मुताबिक सोयाबीन उगाने वाले प्रमुख राज्यों में सोयाबीन की फसल की समग्र स्थिति सामान्य है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में फसल की स्थिति अच्छी बताई जा रही है और पौधों की अच्छी वृद्धि देखी गई है।सोपा ने कहा कि, 31 जुलाई तक मध्य प्रदेश में सोयाबीन का रकबा 51.9 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के 52 लाख हेक्टेयर के आंकड़े से थोड़ा कम है। कर्नाटक में सोयाबीन का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
साल | रकबा (लाख हेक्टेयर) | उत्पादन (लाख टन) | पैदावार (किलोग्राम/हेक्टेयर) |
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2020-21 | 129.18 | 126.10 | 976 |
2021-22 | 121.47 | 129.87 | 1069 |
2022-23 | 130.84 | 149.85 | 1145 |
2023-24 | 132.55 | 130.62 | 985 |
2024-25 | 129.57 | 151.80 | 1172 |
नोट – रकबा- लाख हेक्टेयर में, उत्पादन – लाख टन में और पैदावार प्रति हेक्टेयर।
स्रोत – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय।