सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अतिरिक्त नि:शुल्क खाद्यान्न देने की योजना की अवधि पांच महीने के लिए बढ़ा दी है। इस योजना के तहत अब गरीब परिवारों को जुलाई से नवंबर तक अतिरिक्त खाद्यान्न मुहैया कराए जाएंगे। कोविड-19 महामारी से देश के ग्रामीण इलाकों में भी जन-जीवन तबाह हो गया है और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना की अवधि बढ़ाई है। सरकार ने महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए पीएमजीकेएवाई-3 के तहत खाद्यान्न वितरण की घोषणा मई और जून के लिए की थी। गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति महीने पांच किलोग्राम चावल या गेहूं देती है। उन्हें अमूमन मिलने वाले खाद्यान्न के अतिरिक्त यह मदद दी जा रही है।
योजना की अवधि बढऩे के बाद पीएमजीकेएवाई-3 के तहत मौजूदा दरों पर सब्सिडी के मद में सब्सिडी बढ़कर 90,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। इनमें पहले दो महीनों के लिए 26,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी शामिल है। यह रकम वित्त वर्ष 2022 के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत 180,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी के प्रावधानों के अतिरिक्त होगी।
यह योजना पहली बार अप्रैल 2020 में शुरू की गई थी। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच मई 2021 में इसे दोबारा शुरू किया गया। हालांकि पिछले वर्ष और इस वर्ष शुरू योजनाओं में एक महत्त्वपूर्ण अंतर है। पहली योजना के तहत दलहन भी वितरित किया जा रहा था लेकिन इस वर्ष गोदामों में पर्याप्त भंडार नहीं होने के कारण केंद्र सरकार दलहन नहीं दे पाएगी।
एक मोटे अनुमानों के अनुसार जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों की अवधि के दौरान वितरण के लिए 2 करोड़ टन अतिरिक्त खाद्यान्न की जरूरत होगी। हालांकि सरकार को इसमें कोई समस्या नहीं आनी चाहिए क्योंकि 1 मई 2021 तक केंद्रीय भंडार में 10 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न जमा थे। पीएमजीकेएवाई-3 के तहत मई और जून में करीब एनएफएसए के करीब 80 करोड़ लाभार्थियों
को प्रत्येक महीने करीब 80 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न वितरित किए जाएंगे। इस बीच, आंकड़ों के अनुसार 3 जून तक पीएमजीकेएवाई-3 के तहत राज्य भारतीय खाद्य
निगम (एफसीआई) के गोदामों से 64 लाख टन से अधिक खाद्यान्न उठा चुके थे। मई और जून 2021 के लिए पीएमजीकेएवाई के लिए आवंटित खाद्यान्न का यह करीब 80 प्रतिशत है। इनमें 28 लाख टन खाद्यान्न का वितरण 34 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश करीब 55 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को कर चुके हैं। जून 2021 के लिए 2.6 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों के लिए करीब 1.3 लाख टन खाद्यान्न का वितरण हो चुका है। एनएफएस के तहत होने वाले खाद्यान्न के सामान्य वितरण के यह अतिरिक्त है।
वित्त वर्ष 2021 में देशव्यापी लॉकडाउन के बीच केंद्र ने पीएमजीकेएवाई-1 योजना की शुरुआत अप्रैल 2020 में की थी। शुरू में यह योजना अप्रैल से तीन महीनों के लिए शुरू की थी लेकिन हालात चिंताजनक रहने के कारण इसकी अवधि बढ़ाकर पांच महीने तक कर दी गई। इसके तहत केंद्र ने प्रत्येक महीने प्रति व्यक्ति को 5 किलोग्राम गेहूं या चावल का वितरण किया। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाली सहायता के अतिरिक्त यह प्रावधान किया गया था। इसके अलावा सभी जरूरतमंद परिवारों को बिना किसी शुल्क के हरके महीने 1 किलोग्राम दलहन भी वितरित किया गया। पीएम गरीब कल्याण योजना और आत्मनिर्भर भारत के तहत दो हिस्सों में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021 में पीडीएस के तहत आवंटित खाद्यान्न के अतिरिक्त करीब 3.2 करोड़ टन अनाज की आपूर्ति की।
सरकार के अनुसार नि:शुल्क अनाज वितरण के लिए अप्रैल, मई और जून के लिए सब्सिडी के मद में करीब 46,061 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि 5 महीने तक बढ़ाने के बाद सरकार पर अतिरिक्त 76,000 करोड़ रुपये सब्सिडी का बोझ पड़ गया है। इस तरह, गरीब कल्याण के तहत दो प्रोत्साहनों के मद में करीब 1.49 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी की जरूरत होगी। हालांकि वास्तविक अनुमानों के अनुसार यह थोड़ी कम यानी 1.05 लाख करोड़ रुपये के करीब रह सकती है। केंद्र सरकार का दावा है कि खाद्यान्न वितरण योजना से महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों को काफी मदद मिली है लेकिन नागरिक समाज के लोगों का कहना है कि यह मदद केवल उन्हीं लोगों को मिली जिनके पास एनएफएसए राशन कार्ड थे।