चिली से आपूर्ति में बाधा पड़ने की आशंका के चलते अगले हफ्ते वैश्विक बाजार में तांबे की कीमत में और तेजी आ सकती है।
उम्मीद है कि तांबे में आनेवाली इस तेजी से अन्य धातुओं में भी तेजी आ सकती है। हालांकि विशेषज्ञों को थोड़ी आशंका है कि इस लाल धातु की कीमत ऐतिहासिक बेंचमार्क 8975 डॉलर पर पहुंच पाएगी। हालांकि 6 मार्च को लंदन के नकदी बाजार में इसने यह स्तर छुआ था।
वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े तांबा उपभोक्ता चीन से बढ़ती मांग के चलते शॉर्ट टर्म ट्रेडर मुनाफा कमा सकते हैं।चीन अब इस धातु का आयात अचानक नहीं बढ़ा सकता है क्योंकि 2008 में होने वाले ओलिंपिक गेम्स की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। लेकिन इन्फ्रस्ट्रक्चर में सुधार के लिए चीन इसका अतिरिक्त आयात कर सकता है।
रेलिगेयर कमोडिटीज के जयंत मलिक का कहना है कि केवल चीनी फैक्टर के चलते इसमें फंड का आगमन वर्तमान स्तर पर नहीं हो सकता क्योंकि इसका फंडामेंटल अब भी समर्थन नहीं कर रहा। फरवरी में यहां कुल 226980 टन तांबे का आयात हुआ था जो मार्च में छह फीसदी बढ़कर 240634 टन के स्तर पर आ गया।
फरवरी 2007 में कुल 307723 टन तांबे का आयात हुआ था। इसका मतलब ये है कि इस धातु के प्रति चीन की दिलचस्पी बरकरार है। इस बीच, तांबा खनन के मामले में दुनिया के सबसे बड़े देश चिली में ऊर्जा की किल्लत के चलते उत्पादन प्रभावित हुआ है। मुंबई के एक तांबा व्यापारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस धातु की कीमत में कोई कमी आने के आसार नहीं नजर आ रहे। हालांकि इस साल इसमें अब तक 29 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है।