केंद्र सरकार ने अनाज की महंगाई पर काबू पाने के लिए आज खुले बाजार में अतिरिक्त 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल बेचने का फैसला किया है। सरकार की ओर से तमाम कवायदों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लग पाई है, जिसे देखते हुए सरकार ने कदम उठाया है।
इसके अलावा सरकार ने खुली बिक्री योजना के तहत चावल का आरक्षित मूल्य भी 200 रुपये प्रति क्विंटल घटाकर 2,900 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया है। खुली बिक्री को कारोबारियों से सुस्त प्रतिक्रिया को देखते हुए आरक्षित मू्ल्य घटाया गया है, जिससे चावल की उठान में तेजी आए।
आंकड़ों से पता चलता है कि पहली ओएमएसएस बिक्री जून से शुरू हुई। इस योजना के तहत 15 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया था, जिसमें से करीब 8.2 लाख टन (55 प्रतिशत) ही खरीदारों ने खरीदा है। वहीं चावल की खरीद के मामले में स्थिति और खराब है और 5 लाख टन की पेशकश में सिर्फ 0.38 प्रतिशत चावल ही बिक पाया है। गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सरकार ने कहा कि वह भविष्य में आवश्यकता के आधार पर कदम उठाएगी क्योंकि चीजें गतिशील और विकसित हो रही हैं।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘दो वस्तुओं की कीमतें पिछले कुछ महीनों से खबरों में हैं, क्योंकि हम इन अनाजों की कीमतों में बढ़त की प्रवृत्ति देख रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि चावल में ज्यादा उठाव नहीं हुआ है। चोपड़ा ने कहा कि सरकार को लगा कि चावल के आरक्षित मूल्य में बदलाव से बेहतर परिणाम आ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने ओएमएसएस के जरिये 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल खुले बाजार में लाने का फैसला किया है।’ यह 28 जून को ओएमएसएस के तहत घोषित 15 लाख टन गेहूं और 5 लाख टन चावल की बिक्री के अतिरिक्त है। गेहूं का आरक्षित मूल्य अपरिवर्तित रखा गया है क्योंकि ओएमएसएस के तहत व्यापारियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने कहा कि ओएमएसएस के तहत अब तक लगभग 7-8 लाख टन गेहूं की नीलामी की गई है, जबकि चावल की बिक्री बहुत कम है।
उन्होंने कहा, ‘अगले कुछ हफ्तों में प्रतिक्रिया के आधार पर, हम उनमें बदलाव करते रहेंगे। अंतिम उद्देश्य खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना है।’ उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर अधिक आक्रामक नीलामी करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।
गेहूं आयात शुल्क में कटौती की संभावना पर सचिव ने कहा, ‘अभी हमने ये कदम उठाए हैं। ये गतिशील और विकासशील हैं। भविष्य में आवश्यकताओं के आधार पर हम कदम उठाएंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ काम कर रहा है कि स्टॉक सीमा का उल्लंघन न हो।