facebookmetapixel
Year Ender 2025: ट्रंप के जवाबी शुल्क से हिला भारत, 2026 में विविध व्यापार रणनीति पर जोर छोटे राज्य बन गए GST कलेक्शन के नायक: ओडिशा और तेलंगाना ने पारंपरिक आर्थिक केंद्रों को दी चुनौतीYear Ender 2025: इस साल बड़ी तादाद में स्वतंत्र निदेशकों ने दिया इस्तीफा, जानें वजहेंGMP अनुपालन की चुनौती, एक चौथाई MSME दवा विनिर्माता ही मानकों पर खरा उतर पाएंगीतेजी के बाद नए साल में अमेरिका फोक्स्ड फंड्स का कम रह सकता है जलवासाल 2026 में क्या बरकरार रहेगी चांदी की चमक! एक्सपर्ट्स ने बताई आगे की इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी 2025 में चमका सोना, लेकिन 2026 में निवेशक सावधान: रिटर्न के पीछे भागने से बचें और संतुलन बनाए रखेंYear Ender 2025: भयावह हादसों ने दिए गहरे जख्म, प्लेन क्रैश, आग, बाढ़ और भगदड़ ने खोली व्यवस्थाओं की कमजोरियांटाटा पावर का बड़ा लक्ष्य: 15% ऑपरेशन प्रॉफिट और मुंद्रा प्लांट जल्द फिर से शुरू होने की उम्मीदस्टोनपीक का ओपन ऑफर: कैस्ट्रॉल इंडिया के शेयर में बड़ी तेजी की संभावना कम

कहीं निकल न जाए तेल, कंपनियां अलर्ट

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसमान छूती तेल की कीमतों ने कमोबेश सभी को रुलाया है। लेकिन तेल कंपनियों के लिए तो यह अस्तित्व पर ही खतरा बनकर मंडरा रही है।


इसी खतरे को भांपकर ही सरकारी तेल कंपनियां कई ऐहतियाती कदम उठाने की तैयारी कर रही हैं।इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, जोकि देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी (विक्रेता व रिफाइनर) है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,’इस वक्त हम पर काफी दबाव है।


इसके बावजूद हम भारतीय बास्केट में बढ़ी 2-3 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमत को संभाल सकने की स्थिति में हैं।’


ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुई थी, तो भारतीय रिफाइनरों द्वारा खरीदे गए कच्चे तेल के बास्केट की कीमत अधिकतम रिकार्ड 101.2 डॉलर प्रति बैरल रही।


साथ ही आईओसी के अधिकारी ने यह भी बताया,’ अपने खर्चों में हर संभव कटौती की कोशिश कर रहे हैं।


आईओसी के ही एक अन्य अधिकारी ने बताया,’बिक्री के लिए हम 7-8 दिनों का तेल रिजर्व लेकर चल रहे हैं। अब हमें इसे बढ़ाकर 14-15 दिनों तक पहुंचाना होगा। 


 इसके अलावा, आईओसी ने ज्यादा तादाद में सॉवर कच्चे तेल के शोधन का काम शुरू कर दिया है। इससे उसे सालाना 400 करोड़ रुपए तक की बचत हो रही है।


कच्चे तेल की इस किस्म का हिस्सा आईओसी की बास्केट में 44 फीसदी तक हो चुका है जबकि कई साल पहले यह 38 फीसदी था। उल्लेखनीय है कि आईओसी और उसकी समूह कंपनियों ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 80,000 बैरल कच्चा तेल रोजाना आयात किया है।


हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में उसने रोजाना 55,000 बैरल कच्चा तेल आयात किया था। कंपनी का आयात खर्च भी 3.4 मिलियन डॉलर रोजाना से 82.35 फीसदी ऊपर बढ़कर 6.2 मिलियन डॉलर प्रति दिन हो गया है।


कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियों पर कीमतें न बढ़ाने का सरकारी अंकुश रहता है। इसके चलते इन कंपनियों को बड़े पैमाने पर घाटा उठाना पड़ रहा है।

First Published - March 12, 2008 | 9:52 PM IST

संबंधित पोस्ट