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कहीं निकल न जाए तेल, कंपनियां अलर्ट

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसमान छूती तेल की कीमतों ने कमोबेश सभी को रुलाया है। लेकिन तेल कंपनियों के लिए तो यह अस्तित्व पर ही खतरा बनकर मंडरा रही है।


इसी खतरे को भांपकर ही सरकारी तेल कंपनियां कई ऐहतियाती कदम उठाने की तैयारी कर रही हैं।इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, जोकि देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी (विक्रेता व रिफाइनर) है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,’इस वक्त हम पर काफी दबाव है।


इसके बावजूद हम भारतीय बास्केट में बढ़ी 2-3 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमत को संभाल सकने की स्थिति में हैं।’


ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुई थी, तो भारतीय रिफाइनरों द्वारा खरीदे गए कच्चे तेल के बास्केट की कीमत अधिकतम रिकार्ड 101.2 डॉलर प्रति बैरल रही।


साथ ही आईओसी के अधिकारी ने यह भी बताया,’ अपने खर्चों में हर संभव कटौती की कोशिश कर रहे हैं।


आईओसी के ही एक अन्य अधिकारी ने बताया,’बिक्री के लिए हम 7-8 दिनों का तेल रिजर्व लेकर चल रहे हैं। अब हमें इसे बढ़ाकर 14-15 दिनों तक पहुंचाना होगा। 


 इसके अलावा, आईओसी ने ज्यादा तादाद में सॉवर कच्चे तेल के शोधन का काम शुरू कर दिया है। इससे उसे सालाना 400 करोड़ रुपए तक की बचत हो रही है।


कच्चे तेल की इस किस्म का हिस्सा आईओसी की बास्केट में 44 फीसदी तक हो चुका है जबकि कई साल पहले यह 38 फीसदी था। उल्लेखनीय है कि आईओसी और उसकी समूह कंपनियों ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 80,000 बैरल कच्चा तेल रोजाना आयात किया है।


हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में उसने रोजाना 55,000 बैरल कच्चा तेल आयात किया था। कंपनी का आयात खर्च भी 3.4 मिलियन डॉलर रोजाना से 82.35 फीसदी ऊपर बढ़कर 6.2 मिलियन डॉलर प्रति दिन हो गया है।


कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियों पर कीमतें न बढ़ाने का सरकारी अंकुश रहता है। इसके चलते इन कंपनियों को बड़े पैमाने पर घाटा उठाना पड़ रहा है।

First Published - March 12, 2008 | 9:52 PM IST

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