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बीटी कॉटन की नई किस्म विकसित

Last Updated- December 05, 2022 | 10:05 PM IST

कपास उत्पादक किसानों को अब छोटे रेशे वाले बीटी कॉटन कपास की नयी किस्म के रूप में एक नया विकल्प मिला है।


नागपुर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सहयोगी इकाई केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) ने इस तरह की पहली किस्म तैयार की है। तैयार की जाने वाल कपास की यह नई किस्म न केवल देश बल्कि दुनिया में अपनी तरह की पहली किस्म होगी।


सीआईसीआर ने इस किस्म के विकास के लिए कपास की आरजी-8 किस्म का चयन किया और इसे बीटी किस्म में बदला गया है। इसके रेशे की लंबाई 18 मिलीमीटर होगी। यह संस्थान फिलहाल इस किस्म का कई जगहों पर परीक्षण कर रहा है। इसके निदेशक बी. एम. खादी के अनुसार संस्थान को इस विकसित किस्म के बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिए जीन संवर्द्धित किस्म के लिए गठित समीक्षा समिति (आरसीजीएमओ) की हरी झंडी लेनी होगी।


यही नहीं, इसे बाजार में उतारने से पहले जैव-सुरक्षा परीक्षण से भी गुजरना पड़ेगा। इस सबके चलते लगता है कि इस किस्म को बाजार में आते-आते 2 साल से अधिक का समय लग जाएगा। वास्तव में सीआईसीआर कपास की सभी किस्मों के लिए बीटी कॉटन किस्म का विकास करना चाहता है।


यह अब मध्यम रेशे वाली बीकानेरी नरमा किस्म का बीटी कॉटन संस्करण विकसित करने जा रही है। खादी के मुताबिक इसके बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिए संस्थान को बाकायदा आरसीजीएमओ की अनुमति भी मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त संस्थान की इच्छा है कि वह कपास की किसी बड़ी रेशे वाली किस्म का भी बीटी कॉटन संस्करण विकसित करे।


मालूम हो कि ओटने के बाद 25 मिलीमीटर से कम रेशे की कपास को छोटे रेशे वाली कपास कहते हैं। जबकि 25 से 30 मिलीमीटर लंबी रेशे वाली कपास को मध्यम रेशे वाली कपास और 30 से 37 मिलीमीटर या इससे अधिक लंबी कपास को लंबी रेशे वाली कपास कहते हैं।


बीटी कॉटन ही वह किस्म है जिसके आविष्कार के बाद यहां के अधिकांश कपास उत्पादक किसान बेहतर लाभ की उम्मीद में बीटी कॉटन उगाने लगे थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लंबे और छोटे रेशे वाले कपास के उत्पादन में तेजी से कमी दर्ज की गई। बाजार में उपलब्ध होने वाली कपास की नयी किस्म के साथ अच्छी बात यह होगी कि बीज के लिए किसानों को हरेक साल बाजार का रुख नहीं करना होगा। वे उगाए गए फसल से ही बीज का इंतजाम कर सकेंगे।

First Published - April 19, 2008 | 12:06 AM IST

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