दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून की धीमी रफ्तार से खरीफ फसलों की बोआई पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है। 23 जून को समाप्त सप्ताह में उड़द, अरहर, सोयाबीन और चावल के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि, व्यापारियों और बाजार के सूत्रों का कहना है कि जब तक बोआई सही समय है तब तक किसी भी तरह की देरी का पैदावार पर प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।
जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश फसलों के लिए वरदान साबित होगी और समय पर अच्छी और अधिक बारिश होना भी काफी मायने रखेगा।
भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने इसको लेकर उम्मीद जगाई है। मौसम विभाग ने अपने 23 जून के पूर्वानुमान में कहा है कि अगले दो दिनों के दौरान छत्तीसगढ़ के कुछ अन्य इलाकों, बिहार और झारखंड के बचे इलाकों, पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ इलाकों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।
विभाग का कहना है कि अगले तीन से चार दिनों के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ और हिस्सों में भी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अच्छी हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले पांच दिनों में पूर्वी मध्य और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाकों में भारी से लेकर बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
केंद्र के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के साथ इंटरनैशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स के वैज्ञानिक अरहर की पैदावार बढ़ाने के लिए देश भर में एक महत्त्वपूर्ण योजना योजना बना रहे हैं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि परियोजना के कारण देश भर में अरहर की पैदावार 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।