आयात शुल्क में कटौती से Gold-Silver सस्ता हो गया लेकिन जिस दर से शुल्क में कटौती की गई उतनी कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है। आयात शुल्क में कटौती से ज्वैलर्स को भारी नुकसान हुआ है। तस्करी में विराम भी लग सकता है। ऐसे में ज्वैलर्स अपना पुराना स्टॉक निकालने के लिए एक तरफ ज्वेलरी खरीदने पर कई तरह के ऑफर दे रहे हैं तो दूसरी तरफ जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी होने की आशंका जाहिर करके ग्राहकों को खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
बजट में सोना-चांदी में सीमा शुल्क 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है। शुल्क में कटौती से सोने की कीमतें करीब 5900 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी के भाव में करीब 7600 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी होनी चाहिए थी लेकिन इन दोनों धातुओं की कीमतों में गिरावट उम्मीद से आधी हुई है। इसकी वजह शुल्क में कटौती से ज्वैलर्स को तत्काल होने वाले नुकसान को माना जा रहा है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा कि अगर आयात शुल्क के अंतर को ध्यान में रखा जाए तो सर्राफा डीलरों और ज्वैलर्स को प्रति किलोग्राम करीब 50,000 रुपये का भुगतान करना होगा। इस तरह सोना आभूषण विक्रेताओं को करीब 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। देश भर के आभूषण विक्रेताओं के पास लगभग 300 टन आयातित सोने का बिना बिका स्टॉक बचा है। जिसका असर आने वाले महीनों में आयात पर भी पड़ेगा। प्रमुख सर्राफा विश्लेषक भार्गव वैध कहते हैं कि जब तक भारत में पुराने माल का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक नए आयात की संभावना नहीं है।
सोना-चांदी सस्ता होने से ग्राहकों का रुझान ज्वेलरी बाजार की तरफ बढ़ा है। मौके की नजाकत को भांपते हुए ज्वैलर्स भी ग्राहकों को लुभावने ऑफर दे रहे हैं। सोने के आभूषणों के मेकिंग चार्ज पर 20 से 40 फीसदी तक छूट की पेशकश की जा रही है। दरअसल ग्राहकों की तरफ से गहनों की बढ़ती पूछताछ को ज्वैलर्स ग्राहकी में बदलना चाह रहे हैं ताकि वह अपना पुराना स्टॉक जल्द से जल्द खत्म कर सके।
दुबई के भाव पर सोना खऱीदों जैसे आकर्षक स्लोगन ग्राहकों को अपनी ओर खींचने में मददगार साबित भी हो रहे हैं। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता कुमार जैन कहते हैं कि पिछले कुछ समय से सोने की मांग काफी कम हो गई है क्योंकि बाजार में आयात शुल्क कम होने की हवा चल रही है, जिससे रिकॉर्ड डिस्काउंट की पेशकश की जा रही है।
आयात शुल्क में कटौती के बाद दुबई और भारत की कीमतों में समानता बन गई है। सोना सस्ता हो गया है, आगामी शादी विवाह के सीजन के लिए आभूषण करने का यही सही समय है। सोना सस्ता होने से ग्राहकों की संख्या में करीब 50-60 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
ज्वैलर्स कह रहे हैं कि सोने और चांदी के आयात शुल्क में कटौती की भरपाई करने के लिए सरकार सोने और चांदी की मौजूदा जीएसटी दर को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 9-10 फीसदी कर सकती है। जीएसटी दर 3 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी होने की संभावना जानकार भी व्यक्त कर रहे हैं।
केडिया कमोडिटीज के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहते हैं कि सीमा शुल्क में कमी से सोने की तस्करी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो हाल के दिनों में बहुत बढ़ गई है। जीएसटी दरों में वृद्धि से राजस्व हानि की कुछ हद तक भरपाई हो सकती है। जीएसटी दरों में बढ़ोतरी की हो रही चर्चा के बीच जीजेसी ने जीएसटी परिषद से आभूषणों पर कर की दर मौजूदा तीन प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने की अपील की है।
उद्योग जगत के लोगों का मानना है कि शुल्क में भारी कटौती से अवैध आयात को खत्म करने में मदद मिलेगी। कारोबारियों का मानना है कि देश में करीब 15 फीसदी सोना तस्करी के रास्ते बाजार में पहुंचता है लेकिन अब इसमें रोक लगेगी क्योंकि आयात शुल्क में कटौती के बाद तस्करी का सोना खरीदने में कई फायदा नहीं होगा ।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के पूर्व क्षेत्रीय सीईओ (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि चूंकि राज्य सरकारों को कर राजस्व का अधिक हिस्सा मिलता है, इसलिए वे तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उत्सुक हो सकते हैं। ज्वैलर्स कहते हैं कि आयात शुल्क में कटौती के बाद दुबई और भारत की कीमतों में समानता बन गई है । वर्तमान में दुबई से पांच फीसदी शुल्क पर सोना आयात किया जाता है । ऐसे में अवैध सोना अब बाजार में नहीं बिकेगा।
स्वर्ण आभूषण उद्योग एक राष्ट्र, एक दर नीति की वकालत कर रहा है, जिसकी शुरुआत अगस्त से पूर्वी भारत के लिए समान दर लागू करने के साथ की जाएगी। स्वर्ण शिल्प बचाओ समिति के अध्यक्ष समर कुमार डे ने कहा कि सभी हितधारकों ने देश भर में एक समान सोने की दर के विचार में रुचि दिखाई है। हम अगस्त से बंगाल और पूर्वी भारत के लिए एकल दर की शुरुआत करेंगे। इस पहल में हमने सर्राफा विक्रेताओं को भी शामिल कर लिया है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के चेयरमैन संयम मेहरा ने कहा कि इसका मकसद सभी हितधारकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना और मूल्यह्रास को रोकना है।