भारतीय रुपये में सोमवार को गिरावट आई। लेकिन उसके लिए जून के बाद सितंबर सबसे अच्छा महीना रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती और चीन में आर्थिक प्रोत्साहन उपायों के बाद ज्यादा जोखिम उठाने की क्षमता से इसे ताकत मिली है।
रुपया 83.7925 पर बंद हुआ जो उसके पिछले बंद भाव 83.70 से कम है। संभावित डॉलर निकासी से रुपये पर दबाव देखा गया। सितंबर में रुपया करीब 0.1 प्रतिशत चढ़ा। फेडरल रिजर्व की 50 आधार अंक की दर कटौती और चीन में कई राहत उपायों की घोषणा से सितंबर में रुपये समेत कई एशियाई मुद्राओं में तेजी आई।
सैक्सो में विदेशी मुद्रा रणनीति की प्रमुख चारु चानना ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘चीन के प्रोत्साहन उपाय वैश्विक जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ा रहे हैं जिससे अमेरिकी डॉलर पर दबाव बढ़ रहा है।’ डॉलर सूचकांक 100.3 पर था और यह जुलाई 2023 के बाद से अपने निचले स्तर के आसपास मंडरा रहा है। यह लगातार तीसरे महीने गिरावट की ओर था।
स्टॉक डिपोजिटरी के आंकड़ों के अनुसार स्थानीय शेयरों और बॉन्डों में वैश्विक निवेशकों के करीब 11 अरब डॉलर लगाए जाने से भी रुपये को मदद मिली। यह उनका सर्वाधिक शुद्ध मासिक प्रवाह है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक के डॉलर खरीदने की संभावना के कारण रुपये की बढ़त सीमित रही।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 20 सितंबर तक लगातार छठे सप्ताह 692.3 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। कारोबारियों का कहना है कि सोमवार को कस्टोडियन बैंकों और आयातकों की डॉलर मांग बढ़ने से रुपये पर दबाव बढ़ गया।
एक निजी बैंक के कारोबारी ने कहा कि दो बड़े विदेशी बैंक संभवत: कस्टोडियन ग्राहकों की ओर से डॉलर के लिए बोली लगाते देखे गए। सोमवार को भारतीय इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई जो दो महीने में इनमें एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।