खरीफ की फसलों की बुआई का रकबा 6 अगस्त तक के आंकड़ों में थोड़ा और सुधरा है। मध्य, पश्चिम, उत्तरी इलाकों में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की बेहतर बारिश जारी रहने की वजह से बुआई बढ़ी है।
पिछले सप्ताह और इस सप्ताह के बीच खरीफ के रकबे में गिरावट कम होकर 4.71 प्रतिशत (30 जुलाई को) से 2.26 प्रतिशत (6 अगस्त को) पर पहुंच गई है।
बहरहाल अगर सामान्य रकबे से तुलना करें तो खरीफ की फसलों की बुआई का रकबा 6 अगस्त को समाप्त सप्ताह में करीब 15 प्रतिशत कम हुआ है। सामान्य रकबा पिछले 5 साल के दौरान खरीफ फसलों की बुआई का औसत होता है।
लगातार हो रही बारिश से अब उत्पादकों के सामने नए तरह की समस्या खड़ी हो रही है, क्योंकि तमाम जगहों पर फसलें खड़ी हैं।
कारोबार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में दलहन की फसल खराब हुई है।
क्रिसिल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुल मिलाकर जहां मॉनसून की वापसी हुई है, बारिश का असमान वितरण किसानों की चिंता का मुख्य विषय है।
खासकर गुजरात (जहां देश के कुल रकबे का 40 प्रतिशत मूंगफली और 20 प्रतिशत कपास का रकबा है) में किसानों चिंता बढ़ी है, जहां मॉनसूनी बारिश 40 प्रतिशत कम थी और
ओडिशा (जिसका कुल धान उत्पादन में हिस्सा 8 प्रतिशत है) में 5 अगस्त तक 25 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह संभव है कि गुजरात में किसान मूंगफली और कपास से अरंडी की खेती का रुख कर लें, जो कम बारिश में भी हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ हाल में महाराष्ट्र में बहुत भारी बारिश हुई है, जिसकी वजह से प्राथमिक अनुमान के मुताबिक 1 लाख हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा है। खासकर मध्य महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली और सतारा जिले में गन्ने, धान और सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है।’
क्रिसिल ने कहा कि कुल मिलाकर मॉनसून बहाली के चरण में, जो 13 जुलाई से शुरू हुआ, 5 अगस्त तक 2 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।