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प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी गिरावट

Last Updated- December 07, 2022 | 10:41 PM IST


ऊहापोह की स्थिति वाले प्राकृतिक रबर के बाजार में आज भारी गिरावट आई और बेंचमार्क श्रेणी वाले आरएसएस-4 की कीमतें सोमवार की तुलना में 11 रुपये कम होकर 110 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ गईं। वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर मात्र दो दिनों में प्राकृतिक रबर की कीमतों में 15 रुपये प्रति किलो की कमी आई है। पिछले सात दिनों में इसके मूल्य में 26 रुपये की गिरावट हुई है। 22 सितंबर को हाजिर कारोबार में इसका मूल्य 136 रुपये प्रति किलो था।


कोट्टयम और कोच्चि के बाजार की वर्तमान परिस्थिति ऐसी है कि लोग शीघ्रातिशीघ्र बिक्री करना चाहते हैं। बाजार में यह अफवाह फैल गई है कि आने वाले दिनों में कीमतों में जबर्दस्त गिरावट होगी और कीमतें 100 रुपये प्रति किलो से कम के स्तर पर आ जाएंगी।


इंडियन रबर डीलर्स फेडरेशन के प्रेसिडेंट जॉर्ज वैली के अनुसार बाजार भ्रमित था और बिकवाली का भारी दबाव था। रबर आधारित प्रमुख उद्योग खास तौर से टायर कंपनियां बाजार से दूर हैं और कीमतों पर निगाह रखते हुए ‘सही वक्त’ का इंतजार कर रहे हैं। टायर उद्योग ने सितंबर के शुरुआती सप्ताह में 140 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रबर की खरीदारी की थी।


कोट्टयम के प्रमुख उत्पादकों ने बताया कि किसान हड़बड़ी में हैं क्योंकि उत्पादन के मुख्य सीजन की शुरुआत हो चुकी है। ओनम की छुट्टियों के बाद टैपिंग में तेजी आई है और पिछले कुछ सप्ताह में 30,000 टन का उत्पादन हुआ है। अच्छी कीमतों को देखते हुए किसान उत्साह के साथ सक्रिय रूप से टैपिंग कर रहे थे लेकिन वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों में आए परिवर्तन से उनकी आशाएं टूट गईं।


कच्चे तेल की कीमतों में कमी प्राकृतिक रबर बाजार के लिए चिंता का प्रमुख विषय है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें कम होने से कृत्रिम रबर सस्ता हो जाता है। वास्तव में पिछले 12 से 16 महीनों में कृत्रिम रबर की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी के कारण ही प्राकृतिक रबर की कीमतों में भी वृद्धि हुई थी। कृत्रिम रबर की अधिक कीमत के मद्देनजर प्राकृतिक रबर की खपत बढ़ी। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक रबर की तुलना में कृत्रिम रबर की कीमत लगभग दोगुनी है। लेकिन, कच्चे तेल की कीमतों में कमी से कृत्रिम रबर के मूल्य कम हो सकते हैं। आरएसएस-3 ग्रेड के रबर की कीमत विश्व के प्रमुख बाजारों में घट कर 115 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ गई है और भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं है। बाजार का अनुमान है कि वैश्विक आर्थिक संकट से प्राकृतिक रबर की खपत में कमी आएगी।


प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल मुख्यतः ऑटोमोटिव क्षेत्र और घरेलू खपत की चीजें बनाने में की जाती है और अमेरिका तथा यूरोप जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के संकट में आने से रबर की खपत बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।


बाजार सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मूल्य के वर्तमान स्तर पर खरीदारों की संख्या काफी कम है और आने वाले दिनों में बाजार संकट में घिर सकता है। मौसमी परिस्थितियों के अनुकूल होने से अक्टूबर से जनवरी


की अवधि के दौरान आपूर्ति बेहतर रहेगी।

First Published - October 1, 2008 | 10:31 PM IST

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