ग्वार बीज के वायदा व हाजिर मूल्यों में गुरुवार को तेजी से गिरावट दर्ज की गई। इसके पीछे वजह यूरोपीय संघ द्वारा जारी रिपोर्ट को माना जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ग्वार गम के निर्यात के लिए गुणवत्ता परीक्षण संतोषप्रद नहीं है।
गौरतलब है कि गत साल अक्तूबर में यूरोपीय संघ ने भारत में एक जांच दल भेजा था। जांच के दौरान ग्वार गम में कीटनाशक पाए जाने के बाद ही यह फैसला लिया गया।
वस्तुत: ग्वार गम ग्वार बीज से तैयार किया गया एक उत्पाद है। कारोबारियों के मुताबिक इतने कम समय में ही ग्वार बीज की कीमतों में सौ रुपये प्रति क्विंटन की गिरावट देखी गई।
अमूमन ग्वार बीज का कारोबार अप्रैल-मई के दौरान ऊंची कीमत पर किया जाता है। लेकिन यूरोपीय संघ के इस रिपोर्ट का असर इस कारोबार के लिए काफी नुकसानदेह होगा।
भारत विश्व में ग्वार बीज के प्रमुख उत्पादकों में से एक हैं। ग्वार गम निर्यात ज्यादातर फरवरी-अप्रैल के बीच होता है। गत साल की तरह इस साल भी ग्वार गम की पर्याप्त मांग थी।
लेकिन यूरोपीय संघ द्वारा जारी रिपोर्ट ने आयातकों को एक बार फिर से सोचने के लिए विवश कर दिया है। हालांकि इन सब के बीच एक बार फिर ग्वार की बीज की कीमतों में उछाल के कयास लगाए जा रहे हैं।
बीकानेर के ग्वार बीज व्यवसायी नवरत्न डागा का मानना है कि भारत के सबसे बड़े निर्यातक होने के कारण समुद्र पार के खरीदारों को अपनी आवश्यकता के लिए भारत से उत्पाद खरीदना ही होगा।
जोधपुर कमोडिटि बाजार में ग्वार बीज का हाजिर मूल्य फिसल कर 1940 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा। साथ ही कारोबारियों को अंदेशा है कि कीमतें 1900 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती है।
स्टॉकिस्ट के अपने स्टॉक पर कब्जा करने के कारण राजस्थान में ग्वार बीज मिल अपनी क्षमता से कम पर काम कर रहा है। जानकारों के मुताबिक जहां कुल क्रशिंग क्षमता 20 हजार बैग तक है वहां स्टॉकिस्ट 12 हजार बैग की ही आपूर्ति करते हैं।
यूरोपीय संघ की इस रिपोर्ट के मद्देनजर इस बात की संभावना जताई जा रही है कि स्टॉकिस्ट आपूर्ति को बढ़ाएंगे।
गत बुधवार को नेशनल कमोडिटि डेरिवेटिव एक्सचेंज में ग्वार बीज का भाव 50 रुपये गिरकर 1988 रुपये प्रतिक्विंटल रहा। साथ ही ग्वार गम का वायदा कारोबार 105 रुपये घटकर 4821 रुपये प्रति क्विंटल रहने की संभावना है।