सरकार 1 अप्रैल से शुरू होने वाले रबी फसलों की खरीद के सीजन में रिकॉर्ड स्तर की खरीदारी कर सकती है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में शुरुआती खरीद के रूझान कैसे रहते हैं।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) जो सरकार की तरफ से अनाज और वितरण करने वाली एजेंसी है, उसने मंडी में आने वाले कुल अनाज का 69 फीसदी उठा लिया है जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 26.45 फीसदी रहा है।
एफसीआई ने मंडी में 248,551 टन के आवक के मुकाबले इन दो राज्यों से 171,983 टन गेहूं की खरीद की गई है। पिछले साल इसी अवधि में 283,287 टन के मुकाबले 74,926 टन की खरीद की। गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य 8 फीसदी की बढ़त के साथ इस साल 1,080 रुपये प्रति टन रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2008-09 के रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड 7.86 करोड़ टन के मुकाबले इस साल 7.78 करोड़ टन का दूसरा बेहतरीन रिकॉर्ड कायम करने की राह पर है।
गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्यों मसलन पंजाब और हरियाणा में एफसीआई द्वारा गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो रही है। वहीं मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में एजेंसी ने गेहूं की खरीद मार्च के दूसरे हफ्ते में ही शुरू कर दी थी।
पिछले साल एफसीआई ने रिकॉर्ड स्तर पर गेहूं की खरीद 2.26 करोड़ टन की लेकिन इस साल अगर शुरुआती रूझान बेहतर रहे तो इस साल एक नया रिकॉर्ड कायम हो सकता है। एफसीआई के एक अधिकारी का कहना है, ‘अगर यही चलन बरकरार रहा तो हम इस साल 2.5 करोड़ टन गेहूं की खरीद की उम्मीद कर सकते हैं।’
आने वाले महीने में गेहूं की कीमतों में कमी के संकेत भी मिल रहे हैं और एफसीआई को अपने बड़े भंडार का प्रबंधन करने में दिक्कत आ सकती है। वैसे 1 मार्च तक केंद्रीय पूल के पास 1.52 क रोड़ टन गेहूं और 2.12 करोड़ टन चावल का भंडार खरीद सकते हैं।
दोनों अनाजों का भंडार पर्याप्त है और उसके जरिए सार्वजनिक वितरण योजनाओं के तहत सालाना उपभोग को भी पूरा किया जा सकता है। गेहूं और चावल के निर्यात पर फिलहाल प्रतिबंध है।