सरकार चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाली संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने के अमेरिका के फैसले के कारण भारत के विदेशी बंदरगाह टर्मिनलों और अन्य को संचालित करने के महत्त्वाकांक्षी प्रयासों पर पड़ने वाले प्रभावों की आशंकाओं का आकलन कर रही है। यह जानकारी इस मामले की जानकारी रखने वाले कई अधिकारियों ने दी।
इंडिया पोर्टस ग्लोबल (आईपीजीएल) ईरान के बंदरगाह शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल का संचालन करती है। भारत के ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम का भी हिस्सा आईपीजीएल है। इसका उद्घाटन जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने विदेशी बंदरगाह परियोजनाओं की बोली लगाने के लिए फरवरी में किया था। सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अभी सरकार आईपीजीएल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रतिकूल असर की आशंकाओं पर कानूनी परामर्श कर रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परामर्श इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगा कि क्या यदि ये प्रतिबंध लागू होते हैं तो भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम और सागरमाला फाइनैंस कंपनी पर भी लागू होंगे।’
सागरमाला फाइनैंस कंपनी को पहले पहले सागरमाला डेवलपमेंट कॉरपोरेशन कहा जाता था। यह एक सरकारी कंपनी है। इसे हाल ही में भारत के नौवाहन क्षेत्र की प्रमुख गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी बनने के लिए नया रूप दिया गया है। एसडीसीएल की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी आईपीजीएल है।
अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि निश्चित रूप से हल निकाला जाएगा और इस मोर्चे पर कोई बड़ा खतरा नहीं होना चाहिए। ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध कोई नई बात नहीं है और सरकार इस प्रभाव को कम करने के लिए उचित कदम उठाएगी। इस सिलसिले में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय और जहाजरानी सचिव टी.के. रामचंद्रन को सवाल भेजे गए थे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
अमेरिका के विदेश विभाग ने 16 सितंबर को कहा था कि विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान पुनर्निर्माण सहायता और इकनॉमिक विकास के लिए ईरान को फ्रीडम ऐंड काउंटर-प्रोलिफरेशन अधिनियम (आईएफसीए) के तहत 2018 में जारी प्रतिबंधों की छूट को 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी रूप से रद्द कर दिया है।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने चाबहार बंदरगाह के लिए प्रतिबंधों की छूट रद्द करने के बारे में अमेरिकी प्रेस विज्ञप्ति देखी है। हम वर्तमान में भारत पर इसके प्रभावों की जांच कर रहे हैं।’ कानूनी विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि अमेरिका के प्रतिबंध भारत सरकार के कंसोर्टियम के माध्यम से अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के चल रहे अभियान के लिए चिंता का विषय हैं।