जनवरी-मार्च 2021 की तिमाही में भारत में सोने की मांग पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 37 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 140 टन रही। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल ने गुरुवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। वैल्यू के लिहाज से मांग इस अवधि में सालाना आधार पर 57 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 58,800 करोड़ रुपये रही।
मार्च 2021 की तिमाही में भारत की मांग वैश्विक मांग के ठीक उलट है, जहां सालाना आधार पर मांग 23 फीसदी घटकर 815.7 टन रह गई, जिसकी मुख्य वजह सोने वाले ईटीएफ से निकासी और केंद्रीय बैंक की तरफ से कम खरीदारी रही।
डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, भारत में लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था के खुलने, टीकाकरण का अभियान शुरू होने के कारण सोने को लेकर सकारात्मक माहौल बना रहा। आभूषण की मांग भी इस अवधि में सालाना आधार पर 39 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 102.5 टन रही और वैल्यू के लिहाज से भी यह सालाना आधार पर 58 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 43,100 करोड़ रुपये रही।
डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पी आर ने कहा, मार्च तिमाही में भारत में सोने की मांग कोविड पर लगाम कसे जाने और टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद सकारात्मक माहौल बनने के कारण देखने को मिली। सोने की कीमतों में नरमी, आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद उपभोक्ताओं में खरीदारी का माहौल और सामाजिक गतिविधियों मसलन शादी-विवाह फिर से शुरू होने के कारण सोने के आभूषण की मांग को सहारा मिला। सोने की मांग का अगला चरण डर की वजह से नहीं बल्कि आर्थिक रफ्तार के कारण बढ़ेगा।
सोने की औसत कीमत 47,131 रुपये प्रति 10 ग्राम रही, जो सालाना आधार पर 14 फीसदी ज्यादा है, लेकिन तिमाही दर तिमाही के मुकाबले 6 फीसदी कम है। साथ ही यह कीमत अगस्त 2020 के सर्वोच्च स्तर 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मुकाबले 16 फीसदी कम है। सोमसुंदरम ने कहा, सोने की कीमत 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आने पर उपभोक्ताओं का मनोवैज्ञानिक अवरोध हट गया और इससे मोल भाव के जरिए खरीदारी के अलावा शादी-विवाह के लिए खरीद में तेजी आई, लिहाजा मांग में बढ़ोतरी देखने को मिली।
निवेश मांग
भारत में सोने में खुदरा निवेश की मांग भी लगातार तीसरी तिमाही सुधरी। सोने की सिल्लियों व सिक्के की मांग सालाना आधार पर 34 फीसदी बढ़कर 37.5 टन रही, जो 2015 के बाद की भारत में सबसे मजबूत तिमाही है। इस बीच, रीसाइक्लिंग 20 फीसदी घटकर मार्च तिमाही में 14.8 टन रही।
डब्ल्यूजीसी को लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण फिर से लॉकडाउन और आवाजाही पर पाबंदी के कारण त्योहारी मांग घटेगी और निवेशकों की अवधारणा पर चोट पहुंचेगी। ये सभी चीजें शादी-विवाह के आगामी सीजन में सोने की मांग पर असर डालेगी।
ईटीएफ से निकासी
मार्च 2021 की तिमाही में निवेश मांग 71 फीसदी घटकर 161.6 टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 549.6 टन रही थी। डब्ल्यूजीसी ने कहा, गोल्ड ईटीएफ से निकासी के कारण ऐसा हुआ, जिसने पहली तिमाही में 177.9 टन गंवाए जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 299.1 टन रही थी क्योंकि उच्च ब्याज दर और कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट के रुख ने निवेशकों की अवधारणा पर असर डाला।
डब्ल्यूजीसी के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक एल. स्ट्रीट ने कहा, दुनिया भर के देशों में रिकवरी जारी है और अर्थव्यवस्थाएं सतर्कता के साथ दोबारा खुल रही हैं। इससे मार्च तिमाही में उपभोक्ताओं के भरोसे में उत्साहजनक सुधार देखने को मिला, जैसा कि सोने के आभूषण की मांग में शानदार बढ़ोतरी से प्रतिबिंबित हुआ है।
इस बीच, सिल्लियों व सिक्के की वैश्विक मांग इस दौरान सालाना आधार पर 36 फीसदी बढ़कर 339.5 टन रही, जिसकी वजह निचले स्तर पर खरीदारी रही। आभूषण पर खर्च 27.5 अरब डॉलर पर पहुंच गई, जो 2013 की पहली चिमाही के बाद की सर्वोच्च तिमाही है और पांच साल के तिमाही औसत 22.1 अरब डॉलर से 25 फीसदी ऊपर है।