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वायदा बाजार आयोग हुआ ‘बेबस’

Last Updated- December 05, 2022 | 10:43 PM IST

वायदा बाजार आयोग के लिए जारी अध्यादेश के समाप्त होने के साथ ही कृषि जिंसों के अवैध कारोबार (डब्बा कारोबार) के खिलाफ कदम उठाने की बाबत एफएमसी की शक्तियां भी समाप्त हो गई हैं।


लेकिन ऐसे कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए वायदा बाजार आयोग आयकर विभाग व बिक्री कर विभाग को अलर्ट करने जा रहा है।फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) के वर्तमान प्रावधानों के मुताबिक अगर एक्सचेंज का सदस्य कानून का उल्लंघन करता है तो आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, लेकिन वह उस सदस्य के क्लाइंट के खिलाफ सीधे कोई कदम नहीं उठा सकता।


इसके बदले आयोग उन एक्सचेंज को निर्देश दे सकता है कि अवैध कारोबार पर लगाम लगाने केलिए वह या तो एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म पर या इससे बाहर कार्रवाई करे। इस तरह से यह पूरी तरह एक्सचेंज पर निर्भर करता है वह या तो उस क्लाइंट को कारोबार करने से रोकेया फिर उसे जारी रखने की इजाजत दे।


हालांकि एफएमसी के चेयरमैन बी. सी. खटुआ डब्बा कारोबार यानी अवैध कारोबार को किसी भी सूरत में जारी नहीं रहने देने के लिए कटिबध्द नजर आ रहे हैं। एफएमसी ने कई ऐसे अवैध कारोबारियों को पकड़ा है जो नैशनल एक्सचेंज के समानांतर ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म चला रहे हैं। एफएमसी के सूत्रों के मुताबिक, एक्सचेंज में होने वाला कारोबार धीरे-धीरे डब्बा कारोबारियों की तरफ शिफ्ट कर रहा है।


अध्यादेश जारी होने के बाद के तीन महीने के अंतराल में एफएमसी ने जिंस वायदा बाजार को लगभग पूरी तरह नियंत्रित कर लिया है। इस दौरान एफएमसी ने क्लाइंट व सदस्यों के लिए स्टॉक लिमिट व एक्सचेंज के लिए मार्जिन आदि के नए मानदंड लागू किए हैं।


हाल ही में एमएमसी ने एनसीडीईएक्स व एमसीएक्स के सदस्य इंदौर स्थित प्रीमियम ग्लोबल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स प्राइवेट लिमिटेड को डब्बा कारोबार का दोषी पाया है। यह कंपनी अपने स्थानीय क्लाइंट प्रॉफिट कमोडिटी के जरिए डब्बा कारोबार कर रही थी। इसके बाद एफएमसी ने प्रॉफिट कमोडिटी के दोनों पार्टनर सचिन जैन व जितेंद्र बाफना को ट्रेडिंग करने पर पाबंदी लगा दी।


डब्बा कारोबारियों का ऑफिस किसी अन्य ब्रोकर के ऑफिस की तरह होता है, जहां एक्सचेंज से लिंक किए गए टर्मिनल लगे होते हैं और उस पर कमोडिटी बाजार के ताजा भाव देखे जा सकते हैं। अंतर ये है कि कमोडिटी एक्सचेंज की तरह निवेशकों के बिजनेस का कमोडिटी एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं होता। इस सिस्टम में अवैध कारोबारियों की किताब में इसकी ऐंट्री होती है।


डब्बा ऑपरेटर सभी कारोबार के प्रिंसिपल की तरह काम करते हैं न कि क्लाइंट के एजेंट की तरह। सामान्य तौर पर अध्यादेश जारी होने के बाद जब संसद का सत्र शुरू होता है तो उसके छह सप्ताह के अंदर किसी अध्यादेश को विधेयक में परिवर्तित करना होता है। चूंकि यूपीए के घटक जिंस वायदा पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं, लिहाजा केंद्र सरकार अध्यादेश से आगे नहीं बढ़ पाई है। इस तरह के अध्यादेश को कानून में बदलने की अवधि 6 अप्रैल को समाप्त हो गई है।


एफसीआर में संशोधन काफी समय से लंबित है, लिहाजा जनवरी में अध्यादेश जारी कर दिया था और इसके जरिए वायदा बाजार आयोग को जिंस वायदा बाजार की मजबूती के लिए कदम उठाने की बाबत शक्तियां दी गई थी।एक विशेषज्ञ के मुताबिक बढ़ती महंगाई के आंकड़े पर काबू पाने के लिए सरकार के पास फिलहाल कोई योजना नहीं है, क्योंकि यह उसकी जड़ तक नहीं पहुंच पाई है।


सरकार द्वारा कई कदम उठाने केबाद भी यह 7 फीसदी से ऊपर है। खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए सरकार के पास उपज बढाने का कोई प्रस्ताव नहीं है और न ही अनाज के पैदावार क्षेत्र को बढाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से न सिर्फ डब्बा कारोबार फले-फूलेगा बल्कि यह एक्सचेंज के कारोबार को काफी हद तक प्रभावित करेगा।

First Published - April 21, 2008 | 12:39 AM IST

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