इस साल बरसात में 8 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून अब विदा हो रहा है। बारिश के लिहाज से 2021 के बाद यह सबसे अच्छा सीजन रहा है। जून से सितंबर के बीच चार महीनों के दौरान औसत वर्षा 935 मिलीमीटर होने का पूर्वानुमान जारी किया गया था, जो बरसात के दौरान सामान्य वर्षा का औसत 870 मिमी से 8 प्रतिशत अधिक था। ये आंकड़े 30 सितंबर शाम तक के हैं।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार मध्य भारत में औसत से 19 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके बाद दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में सामान्य से 14 प्रतिशत अधिक पानी बरसा है। इस वर्ष देश के उत्तरी और उत्तरी-पूर्वी हिस्सों में सामान्य से 14 प्रतिशत कम बरसात हुई। देश के 724 जिलों में से 47 प्रतिशत में मॉनसून सामान्य रहा जबकि 31 प्रतिशत में अधिक या बहुत अधिक तथा 21 प्रतिशत में सामान्य से कम वर्षा हुई है।
अच्छी बरसात का असर कपास, उड़द, मूंग और बाजरा जैसी खरीफ फसलों पर पड़ा है, जिनका रकबा इस बार बढ़ गया है। इससे सरकार को महंगाई पर काबू करने में मदद मिलेगी और वह महंगाई नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों में कुछ ढील दे सकती है। सरकार ने पहले ही बासमती और गैर बासमती चावल, प्याज के निर्यात में ढील देनी शुरू कर दी है और खाद्य तेलों पर आयात ड्यूटी बढ़ा दी है। उम्मीद है सरकार आने वाले समय में आम आदमी को राहत देने वाले और अधिक कारोबारी उपायों की घोषणा कर सकती है।
इस बार मॉनसून कुछ देर से विदा हुआ है। इसका प्रभाव जलाशयों पर देखने को मिला है। इस समय देशभर में केंद्रीय जल आयोग की निगरानी वाले 155 जलाशयों का जल स्तर पिछले साल के मुकाबले एवं सामान्य रेंज से अधिक है। इसके अलावा, अच्छी बारिश के चलते मिट्टी में नमी की मात्रा भी पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है। इससे अगली रबी फसल की बुआई और अच्छी उपज में काफी मदद मिलेगी।
कृषि विभाग के आकलन के अनुसार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, यूपी (अधिकांश भाग), मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्से, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा के दक्षिणी भाग और बिहार के दक्षिणी भाग में इस साल 7-13 सितंबर के बीच जड़ क्षेत्र की मिट्टी की नमी पिछले नौ वर्षों के औसत से बेहतर या उसके समान रही, लेकिन उत्तरी बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों तथा उत्तरी पश्चिम बंगाल में यह नौ साल के औसत से कम दर्ज की गई।