केंद्रीय उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने आज कहा कि वैश्विक कीमत में कमी और आयात घटने से केंद्र सरकार की उर्वरक सब्सिडी 1,70,000 से 1,80,000 करोड़ रुपये के बीच रहने की संभावना है। इसका मतलब यह हुआ कि वित्त वर्ष 24 में उर्वरक सब्सिडी 1,75,100 करोड़ रुपये बजट अनुमान के करीब होगी, लेकिन यह वित्त वर्ष 23 हुए लगभग 2,56,000 करोड़ रुपये व्यय से करीब 34 प्रतिशत कम है।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 24 की पूरक मांग के माध्यम से पोषक आधारित सब्सिडी योजना के तहत हाल में ही 13,351 करोड़ रुपये अतिरिक्त सब्सिडी को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि हाल के संकट के कारण आयात का बिल नहीं बढ़ा होता तो वास्तविक व्यय और कम होता।
मांडविया ने कहा, ‘लाल सागर संकट की वजह से ढुलाई की दर कम से कम 3 गुना बढ़ी है और जहाज से ढुलाई महंगी हो गई है।’
बहरहाल उन्होने आश्वस्त किया कि देश में उर्वरक की कोई कमी नहीं है और लाल सागर संकट के कारण आयात प्रभावित नहीं हुआ है क्योंकि भारतीय नौसेना मालवाहक जहाजों की रक्षा कर रही है।
निर्यातकों के मुताबिक लाल सागर संकट के बाद माल ढुलाई की दरें 600 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, जिसके कारण वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है।
बाब-अल-मंदेब स्ट्रेट में भू राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण जहाज से माल ढुलाई प्रभावित हुई है, जो लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। हाल के समय में यमन के हूती चरमपंथियों के हमले के कारण यह मार्ग प्रभावित हुआ है।
मांडविया ने कहा, ‘हमने 70 लाख टन के करीब यूरिया, 20 लाख टन डीएपी, 10 लाख टन एमओपी, 40 लाख टन एनपीके और 20 लाख टन एसएसपी की आपूर्ति सुनिश्चित की है, जिससे हमारे पास सीजन के लिए पर्याप्त भंडार बना हुआ है।’
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने ‘भारत’ नाम के एक ही ब्रांड से सभी उर्वरकों को बेचने की अपनी पहल से उर्वरक की घरेलू आवाजाही पर परिवहन सब्सिडी लगभग आधा घटाकर 5000 करोड़ रुपये करने में कामयाबी हासिल की है।
मांडविया ने कहा, ‘एक देश, एक उर्वरक की पहल से हमने सालाना करीब 5,000 करोड़ रुपये बचाए हैं, जिससे उर्वरकों की ढुलाई के संकट से कंपनियों को उबारने में मदद मिलेगी।’
मंत्री ने यह भी कहा कि यूरिया का आयात इस वित्त वर्ष में घटकर 40 से 50 लाख टन रहने का अनुमान है, जो इसके पहले साल में हुए 75 लाख टन आयात की तुलना में कम है। ज्यादा घरेलू उत्पादन और नैनो लिक्विड यूरिया के इस्तेमाल से आयात घटाने में मदद मिली है।