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आलू की पैदावार में गिरावट की आशंका

Last Updated- December 07, 2022 | 11:09 PM IST

मानसून में देरी और आलू की बंपर पैदावार की वजह से अगले साल इसकी क्षमता में 10 फीसदी तक की कमी आने के आसार हैं।


पिछले कुछ महीने तक कोल्ड स्टोरेज वाले आलू की अधिकता से परेशान थे, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि अगले कुछ महीने में आपूर्ति में कमी आ सकती है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों का कहना है कि मानसून में देरी की वजह से बड़ी मंडियों में आलू 15-20 दिन देर से पहुंचा।

आलू की शुरुआती फसल, जिसे परिपक्व होने में लगभग 70 दिनों का समय लगता है, वह अक्टूबर के पहले सप्ताह तक कोल्ड स्टोरेज में था। इसके अलावा इस साल किसान आलू बोने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि इस फसल से उन्हें काफी नुकसान हुआ है।

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज असोसिएशन के पतित पावन डे ने बिजनेस स्टैंडर्ड ने कहा कि पिछले दिनों दो किसानों ने आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने कहा कि इससे अगले साल में आलू उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आ सकती है। देश भर में पैदा होने वाले आलू में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 8-10 फीसदी है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने आलू कारोबारियों को परिवहन के तौर पर 40 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का फैसला लिया है। इस वजह से पिछले तीन महीने में पश्चिम बंगाल से आलू धीरे धीरे उड़ीसा, असम, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु पहुंचने लगा। इसके परिणामस्वरुप पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में कुल आलू का 70 फीसदी दूसरे राज्यों तक पहुंचाया जा चुका है।

डे ने कहा कि बहुत सारे राज्यों में देर से इस फसल को बोने की वजह से वहां पर अब धीरे-धीरे आलू की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने में आलू की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि बांकुड़ा और वर्द्धमान में अभी भी इस फसल को आने में देरी है। इससे किसानों और कारोबारियों को अपना घाटा क म करने में मदद मिलेगी।

किसान अभी आलू 140 रुपये प्रति क्विंटल बेच रहे हैं, जबकि लागत और परिवहन शुल्क मिलाकर इसकी कीमत 400 रुपये प्रति क्विंटल हो जाती है। राज्य के कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ने कारोबारियों और किसानों को 750 करोड़ रुपये घाटे का आकलन किया है। पिछले साल पश्चिम बंगाल में आलू का उत्पादन 88 लाख टन रहा, जो इससे एक साल पहले हुए उत्पादन के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा था।

First Published - October 10, 2008 | 12:43 AM IST

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