गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी के कारण हरियाणा और पंजाब के चावल किसानों को पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हरियाणा के अंबाला शहर में तो किसानों ने उम्दा किस्म के गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी हटाने की मांग को लेकर लगातार एक महीने से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि निर्यात पर पाबंदी के नाम पर मंडी में उन्हें औने-पौने दाम पर चावल बेचना पड़ रहा है।
चावल की नयी फसल बाजार में आने के कारण चावल के भाव में और गिरावट की उम्मीद जतायी जा रही है। किसानों के मुताबिक, पिछले साल जिस चावल की बिक्री 2500 रुपये प्रति क्विंटल हो रही थी उसे 1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है।
वहीं 1800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकने वाला चावल 1100 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया है। किसानों का कहना है कि ये सब अर्द्ध-बासमती श्रेणी के चावल हैं और विदेशों में उनकी खासी मांग है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक चौधरी युद्धबीर सिंह कहते हैं कि सरकार की नीति के कारण हरियाणा और पंजाब के किसानों को जबरदस्त घाटा हो रहा है। सरकार खुद भी मान रही है कि चावल की आपूर्ति मांग के मुकाबले काफी अधिक है। इसलिए निर्यात की इजाजत देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
चावल के थोक व्यापारी भी इस बात से सहमत नजर आ रहे हैं कि नई फसल के आते ही उम्दा किस्म के बासमती चावल की कीमत 50-55 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाएगी। पिछले साल इसकी कीमत 90 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर चली गयी थी। गैर-बासमती चावल में इस माह कम से कम 10 फीसदी की गिरावट की संभावना है।