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सामान्य से अधिक बारिश का मतलब कम महंगाई नहीं

1953 के बाद चौथी बार ऐसा होगा, जब लगातार 2 वर्ष ‘सामान्य’ या ‘सामान्य से अधिक’ बारिश होगी।

Last Updated- April 16, 2025 | 11:05 PM IST
Kharif sowing
प्रतीकात्मक तस्वीर

मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि 2025 में कुल मिलाकर देश में औसत बारिश ‘सामान्य से अधिक’ रहेगी। अगर यह अनुमान सही रहता है तो 1953 के बाद चौथी बार ऐसा होगा, जब लगातार 2 वर्ष ‘सामान्य’ या ‘सामान्य से अधिक’ बारिश होगी।

इसके पहले 2010 में ऐसा हुआ था, जब 2010 और 2013 के बीच भारत में दो बार लगातार दो साल तक सामान्य से अधिक और सामान्य बारिश हुई थी।

मौसम विभाग तब सामान्य बारिश मानता है, जब दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 96 से 104 प्रतिशत के बीच बारिश होती है। जब एलपीए के 106 प्रतिशत से ज्यादा बारिश होती है तो उसे ‘सामान्य से अधिक’ के रूप मे वर्गीकृत किया जाता है। 2017 से 2020 के बीच जून से सितंबर के दौरान एलपीए 870 मिलीमीटर था।

2025 के लिए बारिश के मौसम विभाग के अनुमान से यह उम्मीद बढ़ी है कि खाद्य उत्पादन पर्याप्त रहने पर महंगाई नियंत्रण में रहेगी। हालांकि 10 साल से ज्यादा समय के आंकड़ों से पता चलता है कि कोई जरूरी नहीं है कि सामान्य मॉनसून के वर्षों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर कम रहे।

महंगाई दर कई वजहों से प्रभावित होती है, जिसमें स्थानीय मांग और आपूर्ति आदि शामिल है। इसके अलावा अगर देश में औसत बारिश किसी खास साल में सामान्य से ऊपर रहती है तो क्षेत्रवार इसमें बहुत अंतर होता है, जिसका असर कृषि उत्पादन पर पड़ता है। इस साल मौसम ने बिहार और तमिलनाडु में ‘सामान्य से कम’ बारिश का अनुमान
लगाया है।

First Published - April 16, 2025 | 10:40 PM IST

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