अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर शुल्क और जुर्माने की घोषणा से दो महीने पहले से ही भारत की सरकारी रिफाइनरों ने रूस से तेल की खरीद घटानी शुरू कर दी थी। रिफाइनिंग सूत्रों और शिप ट्रैकिंग डेटा के अनुसार जुलाई में रूसी कच्चे तेल का आयात जून की खरीद की तुलना में 22-27 फीसदी कम रहा। मैरीटाइम इंटेलिजेंस एजेंसियों वोर्टेक्सा और केप्लर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जुलाई में भारत ने रूस से प्रतिदिन लगभग 15 लाख बैरल (बीपीडी) कच्चे तेल का आयात किया, जो फरवरी के बाद इस वर्ष का दूसरा सबसे कम आंकड़ा है। जून में यह 19.5-21 लाख बैरल प्रतिदिन था।
जुलाई में भारत ने कुल 46.8 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया जो जून से महज 1 फीसदी से भी कम घटा है जबकि रूसी क्रूड ऑयल की खरीद में भारी गिरावट आई है। इससे पता चलता है कि कैसे पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के अन्य विक्रेताओं ने जुलाई में भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। ट्रंप ने बुधवार को भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी शुल्क और रूसी तेल और हथियारों की खरीद के लिए जुर्माने की घोषणा की थी। आज ट्रंप ने कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्था मरी हुई है और ये दोनों अपनी अर्थव्यवस्था को एक साथ गर्त में ले जा सकते हैं।
गोल्डमैन सैक्स ने आज एक रिपोर्ट में कहा, ‘अगर नए शुल्कों को लागू किया जाता है, साथ ही एल्युमीनियम, स्टील और वाहन जैसे उत्पादों पर मौजूदा क्षेत्र-विशिष्ट शुल्क भी लागू रहते हैं तो भारतीय आयात पर कुल प्रभावी अमेरिकी शुल्क (जुर्माने को छोड़कर) लगभग 26.6 फीसदी तक बढ़ जाएगा।’
जुलाई में भारत ने अमेरिका से जून की तुलना में 23 फीसदी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद की है, जो भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 8 फीसदी है। फरवरी में कुल तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 3 फीसदी थी। यह ऊर्जा निर्यात के ट्रंप प्रशासन के एजेंडे को समायोजित करने के भारत सरकार के प्रयासों को दर्शाता है।
हालांकि सिंगापुर की ऊर्जा विशेषज्ञ वंदना हरि ने कहा कि आगे मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि भारत पर यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका दोनों से प्रतिबंध बढ़ रहे हैं। वंदना इनसाइट्स की संस्थापक हरि ने स्वतंत्र अनुसंधान डेटा का हवाला देते हुए कहा कि भारत को रूसी तेल पहुंचाने वाले टैंकर में से करीब 20 फीसदी पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा दिया है।
दो सरकारी रिफाइनिंग अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप के ट्वीट और सरकार के निर्देश के अभाव में रूसी तेल की अगस्त डिलीवरी को लेकर बहुत अनिश्चितता पैदा हो गई है। इसका अनुबंध जून के अंत में हुआ था और अब वह यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की घोषणा से पहले समुद्र में है। अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि जुर्माना मौजूदा शिपमेंट या नए ऑर्डर पर लागू होंगे या नहीं। इसके अलावा यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि रोसनेफ्ट की इकाई नायरा एनर्जी यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के बाद कैसे परिचालन कर पाएगी। रूसी कच्चे तेल के आयात में इसकी हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है। नायरा ने विशिष्ट योजनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की है।