नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) मार्केट में डॉलर की मजबूत मांग के कारण सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई। रुपया 0.52 प्रतिशत कमजोर होकर 2 सप्ताह के सबसे अधिक गिरावट के स्तर पर आ गया। भारतीय मुद्रा 87.34 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई, जबकि इसके पहले 86.88 पर बंद हुआ था। डीलरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से गिरावट थामने में शुरुआत में मदद मिली।
निजी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘इस सप्ताह करीब 3 से 4 अरब डॉलर की एनडीएफ मैच्योरिटी होनी है, जिसकी वजह से डॉलर की मांग तेज है। बहरहाल सुबह करीब 30 से 35 के स्तर पर रिजर्व बैंक की मौजूदगी थी। लेकिन शाम तक उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया, यही वजह है कि रुपया गिरकर बंद हुआ। ’
सोमवार को रुपये का प्रदर्शन एशिया की मुद्राओं में सबसे खराब रहा। चालू वित्त वर्ष के दौरान रुपये में 4.5 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है। 2025 में डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.97 प्रतिशत गिरावट आई है। दिसंबर के अंत में केंद्रीय बैंक की 67.9 अरब डॉलर की शॉर्ट पोजिशन है। एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘बेहतर ऑर्बिट्राज के मौके के कारण एनडीएफ बाजार ज्यादा दाम लगा रहा था और खरीदारी की रुचि भी थी। लेकिन 87.30 से 87.35 के आसपास रिजर्व बैंक ने सरकारी व विदेशी बैंकों के माध्यम से हस्तक्षेप भी किया। उसने संभवतः करीब 50 करोड़ डॉलर बेचे हैं।’
अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों में नौकरियों की वृद्धि दर सुस्त रहने और व्यापक भूराजनीतिक अनिश्चितता की वजह से बेरोजगारी में बढ़ोतरी के कारण डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत गिरकर 103.7 पर आ गया। आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘चीन में अवस्फीति की चिंता के कारण युआन में 0.2 प्रतिशत गिरावट का दबाव अन्य एशियाई मुद्राओं पर भी पड़ा। ज्यादा आयात शुल्क के कारण भारत पर अमेरिका के जवाबी कर का जोखिम अप्रैल में ज्यादा है, जिससे रुपये के नीचे जाने का जोखिम बढ़ा है। एफआईआई की निकासी जारी रहने से भी तेजी पर लगाम लगी है।
बहरहाल डीलरों का कहना है कि अमेरिका के पेरोल के आंकड़ों का दबाव रुपये पर नहीं पड़ा है क्योंकि रिजर्व बैंक की फॉरवर्ड बुक उल्लेखनीय रूप से शॉर्ट है और इससे बाजार को संकेत मिल रहे हैं कि रुपये में तेजी की ज्यादा संभावना नहीं है, जिसकी वजह से मुद्रा में कमजोरी आ रही है। एक प्राइवेट बैंक के डीलर ने कहा कि जब तक बाजार में वास्तविक प्रवाह नहीं होता है, रुपये में तेजी की संभावना कम नजर आती है।