facebookmetapixel
Retail Inflation: सितंबर में खुदरा महंगाई घटकर 1.54% पर आई, फूड इंफ्लेशन घटकर -2.28% रहीभारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर फिर बातचीत होगी शुरू, इस हफ्ते एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा USSBI MF ने भी Silver ETF FoF में नए निवेश पर लगाई रोक, हाई प्रीमियम का सता रहा डरITR Refund Delay: रिफंड स्टेटस ‘प्रोसेस्ड’ दिख रहा, लेकिन पैसा अकाउंट में नहीं आया? ऐसे करें समाधानNobel Prize 2025: अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जोएल मोकीर, फिलिप एघियन और पीटर हॉविट को मिलानिवेशकों को मिलेगा एक और सुरक्षा कवच! सेबी ने कहा- MF ट्रस्टीज लागू करें अर्ली वॉर्निंग सिस्टम1 महीने में 19% तक मिल सकता है रिटर्न, ब्रोकरेज को इन 3 तगड़े स्टॉक्स पर दिखा ब्रेकआउटPM Kisan Scheme: 21वीं किस्त के लिए किसानों का बेसब्री से इंतजार! जानें किस दिन खाते में आएंगे ₹2000नई तकनीक, नए मॉडल – Ashok Leyland के शेयर में आने वाला है 10% का उछाल! ब्रोकरेज ने दी BUY रेटिंगराजीव जुनेजा बने PHDCCI के नए अध्यक्ष, संजय सिंघानिया को मिली उपाध्यक्ष की कमान

कच्चे तेल का उत्पादन जस का तस रहने की उम्मीद

Last Updated- December 07, 2022 | 8:40 PM IST

सऊदी अरब के तेल मंत्री के बयान के बाद इस कयास को बल मिला है कि ओपेक तेल उत्पादन की मौजूदा स्थिति को बरकरार रखेगा।


ओपेक के इस सबसे प्रभावशाली देश के तेल मंत्री अली उल नुआमी ने कहा है कि तेल का बाजार पहले भी उतना ही व्यवस्थित था जितना कि अभी व्यवस्थित है। गौरतलब है कि मंगलवार देर रात विएना में ओपेक की बैठक प्रस्तावित है जिसमें समूह द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन के बारे में चर्चा की जानी है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल तेल का पर्याप्त भंडार है। नुआमी ने कहा कि जून में ओपेक की हुई बैठक के बाद हमने तेल की कीमतें कम करने के लिए काफी कोशिशें की हैं। इसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि 13 तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक अभी प्रतिदिन 2.967 करोड़ बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है।

ओपेक दुनिया में कच्चे तेल के कुल उत्पादन का तकरीबन 40 फीसदी उत्पादन करता है। जानकारों के मुताबिक, नुआमी के इस बयान के बाद इस कयास को बल मिला है कि मंगलवार से शुरू हो रही ओपेक की बैठक में तेल उत्पादन जस का तस रखने का फैसला लिया जा सकता है। बैठक के पहले सऊदी अरब की भूमिका को लेकर सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक, दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादक सऊदी अरब की ओपेक में सबसे बड़ी हैसियत है। अमेरिका के करीब होने के नाते माना जाता है कि कच्चे तेल की कीमतों को कम रखकर सऊदी अरब पश्चिम के उपभोक्ताओं को खुश करना चाहता है। हालांकि ओपेक के कई सदस्य देशों का मानना है कि कच्चे तेल की घटती कीमतों को देखते हुए ओपेक को कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करनी चाहिए।

वैसे घटती कीमतों के मद्देनजर इसके प्रमुख सदस्य देशों के बीच उत्पादन घटाने को लेकर मतभेद है। अल्जीरिया, ईरान, वेनेजुएला और लीबिया जहां जरूरत से ज्यादा उत्पादन की बात करते हुए उत्पादन घटाने का सुझाव दिया है वहीं कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और इक्वाडोर ने उत्पादन में कटौती न करने की वकालत की है।

ओपेक अध्यक्ष और अल्जीरिया के ऊर्जा मंत्री चकीब खलील ने सोमवार को कहा कि तेल उत्पादन में कटौती पर भी चर्चा की जा सकती है। खलील ने कहा कि हर सदस्य देश इस बात पर सहमत है कि ओपेक 5 लाख से 15 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का ज्यादा उत्पादन कर रहा है।

वाकई में कच्चे तेल का इस समय ज्यादा उत्पादन हो रहा है। उधर ईरानी तेल मंत्री गुलाम हसन नोजारी ने दोहराया कि उनके देश की इच्छा है कि ओपेक के सभी देशों का तेल उत्पादन कोटा तय हो।

First Published - September 10, 2008 | 12:34 AM IST

संबंधित पोस्ट