facebookmetapixel
71st National Film Awards: शाहरुख खान को मिला करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड, ‘जवान’ के लिए बने बेस्ट एक्टरOpenAI-Nvidia की $100 बिलियन की डील के बाद दुनियाभर में रॉकेट बने सेमीकंडक्टर स्टॉक्सJioBlackRock Flexi Cap Fund: खत्म हुआ इंतजार, सब्सक्रिप्शन के लिए खुला फंड; ₹500 से निवेश शुरूएक महीने में 15% चढ़ गया Auto Stock, ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लो, कमाई बढ़ने से कंपनी को होगा फायदाFlipkart BBD Sale 2025: One Plus, Nothing से लेकर Samsung तक; ₹30,000 के बजट में खरीदें ये टॉप रेटेड स्मार्टफोन्सS&P ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर रखा बरकरार, कहा- रीपो रेट में हो सकती है कटौतीनवी मुंबई एयरपोर्ट से शुरू होंगी एयर इंडिया की नई उड़ानें, जल्द बढ़ेंगे अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनGST 2.0: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस में बड़ा झटका या बड़ा मौका? जानें ब्रोकरेज ने क्या बतायाAI एजेंट बनकर आता है सूट में, और कराएगा आपके लोन की वसूली – देखिए कैसेसोना अभी और दिखाएगा तेजी! जेफरीज के क्रिस वुड ने कहा- $6,600 तक जाएगा भाव

बोआई के आंकड़े कमजोर, लगातार बारिश से फूलेंगे कपास के दाम

CAI के मुताबिक 2023-24 के लिए भारत का कपास उत्पादन और खपत दोनों लगभग 325 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जिसमें निर्यात 28 लाख गांठ और आयात 13 लाख गांठ होगा।

Last Updated- September 11, 2024 | 9:34 PM IST
India faces limited gains, more pain from trade war between US and China

कपास उत्पादक प्रमुख राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में भारी बारिश के चलते कपास की फसल भारी नुकसान हुआ है। बोआई के आंकड़े पहले से ही कमजोर दिखाई दे रहे हैं। जिसके चलते कपास की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले एक महीने में कपास के दाम करीब छह फीसदी बढ़ चुके हैं। सितंबर महीने में हो रही बारिश के कारण कपास की फसल और प्रभावित हो सकती है जिसके चलते कीमतें भी तेजी से बढ़ेगी।

हाजिर बाजार में कपास के दाम 29000 रुपये प्रति कैंडी के करीब पहुंच चुके हैं जो कि एक महीने पहले 27 हजार के आसपास चल रहे थे। जबकि मानसून की शुरुआत यानी 11 जून को कॉटन 29 एमएम की कीमत 26663 रुपये प्रति कैंडी थी। कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी की वजह आपूर्ति कमी, कम बोआई और लगातार हो रही बारिश है।

कपास कारोबारी दिलीप कनोडिया के मुताबिक बारिश के कारण इस साल 20-25 फीसदी कपास फसल का नुकसान हुआ है। गुजरात और महाराष्ट्र के कई इलाकों में अभी भी खेतों में पानी भरा है, खेतों से पानी निकलने के बाद नुकसान का सही आकलन हो पाएगा।

केडिया एडवाइजरी के मुताबिक भारत के चालू खरीफ सीजन में कपास की खेती का रकबा पिछले साल के 121.24 लाख हेक्टेयर की तुलना में लगभग 9 फीसदी घटकर 110.49 लाख हेक्टेयर रह गया है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) को उम्मीद है कि इस साल कपास की कुल खेती का रकबा लगभग 113 लाख हेक्टेयर रहेगा। क्योंकि कई किसान कम पैदावार और उच्च उत्पादन लागत के कारण अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2023-24 सीजन के दौरान देशभर में कपास बोआई का रकबा 124.69 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था । इसमें से महाराष्ट्र में 42.34 लाख हेक्टेयर रकबे के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद गुजरात 26.83 लाख हेक्टेयर के साथ दूसरे नंबर पर और तेलंगाना 18.18 लाख हेक्टेयर के साथ चौथे स्थान पर है।

इस साल गुजरात में करीब 90.60 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80.45 लाख गांठ, तेलंगाना में 50.80 लाख गांठ, राजस्थान में 26.22 लाख गांठ और कर्नाटक में 20.47 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलोग्राम) कपास का उत्पादन का अनुमान है।

CAI के मुताबिक 2023-24 के लिए भारत का कपास उत्पादन और खपत दोनों लगभग 325 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जिसमें निर्यात 28 लाख गांठ और आयात 13 लाख गांठ होगा।

स्पिनिंग मिलों के पास वर्तमान में 25 लाख गांठें हैं, जबकि जिनर्स और कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास क्रमशः 15 लाख और 20 लाख गांठें हैं। वैश्विक मोर्चे पर, 2024-25 कपास बैलेंस शीट को संशोधित किया गया है, जिसमें उत्पादन, खपत और अंतिम स्टॉक में कटौती की गई है।

वैश्विक उत्पादन में 2.6 मिलियन गांठों की कटौती की गई है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका और भारत में कम पैदावार है। खपत में भी लगभग 1 मिलियन गांठों की कमी आई है, जो कि ज्यादातर चीन में है। दुनिया भर में अंतिम स्टॉक अब 77.6 मिलियन गांठ होने का अनुमान है।

First Published - September 11, 2024 | 7:12 PM IST

संबंधित पोस्ट